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कला-संस्कृति

त्रिलोचन के 98वें जन्मदिन पर कवितांजलि

त्रिलोचन के 98वें जन्मदिन पर कवितांजलि

प्रगतिशील काव्यधारा के महान कवि त्रिलोचन का जन्मदिन है। संस्कृत, उर्दू, फारसी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर जबर्दस्त महारथ हासिल थी कवि त्रिलोचन को। उनका जन्म 20 अगस्त 1917 को चिरानी पट्टी, जिला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था। त्रिलोचन का मूल नाम वासुदेव सिंह था और वह ताउम्र अपने सहज-सरल स्वभाव और फक्कड़ी के लिए जाने जाते रहे। उनका निधन 10 दिसंबर 2007 को हुआ। हिंदी कविता के इस हस्ताक्षर कवि को आज उनके जन्मदिन पर उनकी कविताओं के जरिए याद करते हैं
चाणक्य की कॉरपोरेट कथाएं

चाणक्य की कॉरपोरेट कथाएं

प्राचीन भारतीय गुरू, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ चाणक्य के उपदेशों को आधुनिक जीवन की समस्याओं और चुनौतियों से निबटने के लिए समसामयिक रूप में पेश किया गया है।
कांटों के बीच अपनों की चिंता

कांटों के बीच अपनों की चिंता

मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
यादों के आइने में अमृतलाल नागर

यादों के आइने में अमृतलाल नागर

पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार और नाच्यो मैं बहुत गोपाल, सुहाग के नुपूर जैसी कालजयी कृतियां लिखने वाले अमृतलाल नागर की 99 वीं बरसी पर बालेंदु शेखर मंगल मूर्त्ति ने उनके साथ बिताए पलों को साझा किया।
गठला – आत्माओं का स्थायी पता

गठला – आत्माओं का स्थायी पता

मध्य भारत के भील आदिवासियों की संस्कृति में ऐसा माना जाता है कि मृत और जीवित आत्माएं एक ही साथ एक ही क्षेत्र में निवास करती हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के इलाकों में पाई जाने वाली इस भील जाति से जुड़ी ऐसी ही कई अन्य परंपराओं और रीति-रिवाजों को विक्रम मोहन ने एक समकालीन नृत्य नाटिका में समेटा है। उन्होंने इसका नृत्य निर्देशन भी किया है।
वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
राष्ट्रीय संग्रहालय में प्राचीन नक्शों की प्रदर्शनी

राष्ट्रीय संग्रहालय में प्राचीन नक्शों की प्रदर्शनी

राजधानी में शुरू हुई प्राचीन नक्शों की एक अनोखी प्रदर्शनी पृथ्वी के सही भौतिक चित्रण के लिए सदियों से अनवरत जारी मानव की अथक कोशिश को उजागर करेगी। यह प्रदर्शनी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रयोगात्मक ब्रह्माण्डीय निरूपण से लेकर भौगोलिक चित्रण की विकास यात्रा को भी रेखांकित करेगी।
एक लड़की की दास्तां-आईने में उतरते हुए

एक लड़की की दास्तां-आईने में उतरते हुए

कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में कहानी प्रकाशित। ‘अनभै’ पत्रिका के पुस्तक-संस्कृति विशेषांक का संपादन। काव्य-पाठ कार्यक्रमों एवं साहित्यिक-गोष्ठियों में भागीदारी। साहित्यिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विषयों से जुड़े अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में सक्रिय सहभागिता। कहानी के लिए कलमकार फाउंडेशन के लिए सांत्वना पुरस्कार।
उर्दू में रची हनुमान चालीसा

उर्दू में रची हनुमान चालीसा

एक मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा का उर्दू में भावानुवाद कर देश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल सामने रखी है। जौनपुर के निवासी आबिद अल्वी ने भाषा (एजेंसी) से बातचीत में कहा मैंने उर्दू शायरी की मुसद्दस विधा में हनुमान चालीसा का भावानुवाद किया है।
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