प्रख्यात चित्रकार एवं पद्मभूषण से सम्मानित चित्रकार और लेखक रामकुमार का आज सुबह दिल्ली में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। 1924 में शिमला में जन्में रामकुमार एमएफ हुसैन, तैयब मेहता और सैयद हैदर रजा की पीढ़ी के थे। उनके निधन से आधुनिक भारतीय चित्रकला का एक प्रमुख स्तंभ ढह गया।
रामकुमार पिछले कई दिनों से बीमार थे। 1924 में शिमला में जन्में रामकुमार मशहूर लेखक निर्मल वर्मा के बड़े भाई थे। वह भी अपने समकालीन चित्रकारों एम.एफ. हुसैन, तैयब मेहता और सैयद हैदर रजा की तरह प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप से जुड़े हुए थे। भारतीय चित्रकला में उन्हें फिगर आर्ट से एब्सट्रेक्ट की ओर ले जाने वाला पहला कलाकार माना जाता है।
वह उन चुनिंदा भारतीय कलाकारों में से थे, जिनकी पेंटिंग्स राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कला बाजार में ऊंचे दामों में बिकती हैं। उनकी एक पेंटिंग ‘द वेगाबॉन्ड’ न्यूयॉर्क की क्रिस्टी आर्ट गैलरी में ग्यारह लाख रुपये में बिकी थी। वह उन चुनिंदा मॉर्डन आर्टिस्ट में से थे जो पेंटिंग और कलम पर बराबरी का अधिकार रखते थे।
रामकुमार ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में एम. ए किया था। उन्हें पद्म भूषण के साथ उत्तर प्रदेश सरकार का प्रेमचंद पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार का कालीदास सम्मान और ललित कला अकादमी की फैलोशिप भी मिली थी।