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मलेशिया में विवेकानंद आश्रम पर उहापोह

मलेशिया में स्थित सौ साल पुराने विवेकानंद आश्रम को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिया जाए या नहीं यह संभवत: अगले हफ्ते तय होगा। स्वामी विवेकानंद का यह आश्रम लगभग सौ साल से भी पुराना है। आश्रम का न्यास मंडल राष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव दो बार ठुकरा चुका है। इससे पहले मलेशिया सरकार ने यहां ब्रिकफील्ड्स में स्थित 110 साल पुरानी इस इमारत को विरासत स्थल का दर्जा देने की अधिसूचना जारी करने की योजना बनाई थी। लेकिन आश्रम का न्यासमंडल इस प्रस्ताव को दो बार ठुकरा चुका है।
मलेशिया में विवेकानंद आश्रम पर उहापोह

इस मसले पर अभी बैठकों का दौर जारी है। मलेशिया के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री मोहम्मद नजरी अजीज ने कहा कि राष्ट्रीय विरासत आयोग आधिकारिक घोषणा करेगा। इससे पहले आश्रम के न्यासमंडल ने जमीन को बेचने और इसका पुनर्विकास कर वहां 23 मंजिला अपार्टमेंट टॉवर के निर्माण का एक प्रस्ताव पेश किया था। स्टार मेट्रो की रिपोर्ट के अनुसार देश भर से विभिन्न पक्षों और व्यक्तियों के एतराज के चलते सिटी हाल ने इस परियोजना को वक्ती तौर पर रोक दिया।

 

स्थल को बचाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले राजा सिंघम ने कहा, ‘यह बेतुका होगा कि यह जगह उसी तरह बंद रहे जिस तरह पिछले 10 साल से बंद है।’ सिंघम ने कहा कि वक्त है कि आश्रम को उसकी पुरानी आन-बान लौटाई जाए। यह तब एक शिक्षा केंद्र था, जैसा स्वामी विवेकानंद चाहते थे। ऐेतिहासिक दस्तावेज दिखाते हैं कि यह गणित का केंद्र था और साथ ही समुदाय के जमा होने का एक स्थान था। उन्होंने कहा कि 1990 दशक के आरंभ तक यहां नृत्य एवं गायन की कक्षाएं होती थीं और योग की शिक्षा दी जाती थी और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियां चलती थीं। आश्रम के प्रबंधन ने पुनर्विकास के अपने प्रस्ताव के लिए वित्तीय दिक्कतें इंगित की। सिंघम ने वित्तीय मदद की पेशकश की है।

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