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मदन कश्यप को केदार सम्मान

सन 2015 के लिए समकालीन हिन्दी कविता का चर्चित केदार सम्मान इस साल वरिष्ठ कवि मदन कश्यप को दिया गया। प्रख्यात आलोचक प्रो. मैनेजर पाण्डेय ने कहा, मदन कश्यप मूलगामी काव्य दृष्टि के कवि हैं। मूलगामी दृष्टि वह है जो अपने समय के मनुष्य और समाज के भाव-कुभाव और स्वाभाव को जानती हो, दोनों के छल-छद्म, आतंक और क्रूरता को पहचानती हो और उन सबसे मुक्ति की राह बनाती हो।
मदन कश्यप को केदार सम्मान

सम्मानित कवि मदन कश्यप ने केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं के व्यापक प्रभाव की चर्चा और बुंदेलखंड के वर्तमान कृषि संकट के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए केदारजी की कविताओं में चित्रित किसान चेतना पर भी प्रकाश डाला। 

मदन कश्यप की कविताओं पर बोलते हुए अनुराधा सिंह ने उनकी कविताएं कोरी कल्पनाओं से हट कर आदिवासी प्रताड़ना और कष्टसाध्य जीवन में भी पठनीय सौन्दर्य रच रही हैं। इसके के लिए कवि के पास अनुभव और अभिव्यक्ति के विविध तल है। उन्हीं की बात आगे बढ़ाते हुए कवि रमेश प्रजापति ने कहा, जिस विचारधारा के कवि केदारनाथ अग्रवाल हैं उसी विचारधारा को मदन कश्यप अपनी कविताओं से आगे बढ़ाते हैं। केदार जी के काल-परिवेश में किसानों की जो समस्याएं थीं वही समस्याएं भयावह रूप में आज भी हैं।

सम्मान कार्यक्रम के बाद केदार नाथ अग्रवाल पर केंद्रित परिचर्चा के विषय, केदार नाथ अग्रवाल की कविता और भारतीय किसान पर भी चर्चा हुई। 

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