Advertisement

किसकी साड़ी किसके काम आई

साड़ी हर स्त्री की प्रिय वस्तु में से एक है। शायद ही ऐसी कोई महिला हो जिसे साड़ी से प्रेम न हो। अब यही साड़ी कुछ महिलाओं का जीवन भी संवार रही है। अमेरिका की एक डिजाइनर ने पुरानी जरी की साड़ी से पश्चिम बंगाल और बिहार की सेक्स वर्कर के जीवन में जरी की चमक भर दी है।
किसकी साड़ी किसके काम आई

देह व्यापार से मुक्त कराई गईं लड़कियों के लिए समाज में कोई विकल्प नहीं बचता। यही वजह है कि कई लड़कियां उसी नरक में पड़ी रहती हैं क्योंकि वे जानती हैं कि इस दुनिया से बाहर उनके लिए रोजी रोटी चलाना मुश्किल होगा। अमेरिका की एक डिजाइनर रोजेना सामी ने पश्चिम बंगाल और बिहार की सेक्स वर्करों के लिए एक रचनात्मक काम शुरू किया है। रोजेना रेड लाइट एरिया से मुक्त कराई गई लड़कियों को पुरानी जरी साड़ियों से चूड़ियां, गहने और बालों के क्लिप बनाना सिखाती हैं। इन गहनों और अन्य सामाना से होने वाली बिक्री से होने वाली आमदनी का उपयोग  देह व्यापार के धंधे से मुक्त कराई गई महिलाओं और बच्चों की शिक्षा में किया जा रहा है।

 

रोजेना सामी ज्वेलरी की संस्थापक रोसेना सामी कहती हैं कि वह पर्यावरण के अनुकूल एक उत्पाद तैयार करने के लिए  काम कर रही हैं। हम पुरानी साडि़यों का उपयोग करते हैं और हमने इस अभियान का नाम हूज साड़ी नाउ रखा है। फिलहाल  इस अभियान के तहत जेवर, बालों की पिन,  क्लिप, चूड़ियां, हार और तरह-तरह  के  हेयरबैंड बनाए जा रहे हैं। जल्द ही हैंड बैग भी बनाए जाने लगेंगे।

 

अपने  आप वूमन वर्ल्डवाइड एक गैर सरकारी संगठना है और इस संगठन से जुड़ा हूज साड़ी नाउ पहल का उद्देश्य देश भर में रेडलाइट इलाकों से मुक्त कराई गई महिलाओं और बच्चों को अधिकार संपन्न बनाना है। दिल्ली आधारित अपने आप वूमन वर्ल्डवाइड गैर सरकारी संगठन की संस्थापक और अध्यक्ष रूचिरा गुप्ता ने बताया, ‘चूडि़यों और हेयरबैंड की बिक्री से मिलने वाली राशि का कुछ प्रतिशत देश भर में रेडलाइट इलाकों की महिलाओं के बच्चों के लिए स्कूलों में लगाया जाता है। यह कार्य अपने आप सामुदायिक केंद्रों के जरिये किया जाता है।’

 

रोजेना सामी जूलरी इस साल जनवरी में लॉन्च किया गया वैश्विक ब्रांड है। इस ब्रांड की जूलरी के प्रशंसकों में रिहाना, जेसिका सिम्प्सन, ब्लेक लाइवली, माइली सायरस, जेसिका अल्बा, नाओमी वाट्स और हिलेरी डफ के अलावा बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हैं।

 

सामी ने कहा मैं दो बेटियों की मां हूं और वकील तथा जूलरी डिजाइनर के तौर पर हमेशा महिलाओं के अधिकारों की वकालत करती हूं। जब मैं रूचिरा से मिली और उनके काम के बारे में जाना तो मुझे लगा कि कुछ अलग करने की गुंजाइश है।

 

श्रीलंकाई तमिल मूल की सामी का जन्म न्यूजीलैंड में हुआ और वह न्यूयॉर्क में रहती हैं। उन्होंने कहा भारत में स्टोर्स के जरिये बिक्री के लिए हम कुछ भारतीय स्टोर्स से बातचीत कर रहे हैं लेकिन फिलहाल तो इन्हें हमारी वेबसाइट से ही खरीदा जा सकता है।

 

रूचिरा ने बताया अभी बिहार और कोलकाता से मुक्त कराई गई 10 महिलाएं इस परियोजना में काम कर रही हैं। यह भले ही शुरूआत है लेकिन इन महिलाओं के लिए वैकल्पिक आजीविका की आय भी है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad