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प्रो. कलबुर्गी हत्या: उदय प्रकाश ने लौटाया अकादमी पुरस्कार

हिंदी के नामचीन कथाकार उदय प्रकाश ने हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। उन्होंने शुक्रवार की सुबह अपने फेसबुक वॉल पर इस संबंध में लिखा था। यह पुरस्कार उन्हें मोहनदास कृति पर वर्ष 2010-11 में मिला था।
प्रो. कलबुर्गी हत्या: उदय प्रकाश ने लौटाया अकादमी पुरस्कार

उदय प्रकाश ने अपनी वॉल पर लिखा ‘ पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसा, अपमानजनक अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताजा कड़ी प्रख्यात लेखक और विचारक तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है। अब यह चुप रहने का और मुंह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये खतरे बढ़ते जाएंगे। मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में मोहनदास नामक कृति पर 2010-11 में प्रदान किए गए साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूं। अभी गांव में हूं। दिल्ली पहुंचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूंगा। मैं उस निर्णायक मंडल के सदस्यए जिनके कारण  यह पुरस्कार मिला, अशोक वाजपेयी और चित्रा मुद्गल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए यह पुरस्कार वापस करता हूं। आप सभी दोस्तों से अपेक्षा है कि आप मेरे इस निर्णय में मेरे साथ बने रहेंगे पहले की ही तरह।

 

 

दूसरी ओर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने अपनी वॉल पर लिखा कि- ' अभी अचानक मैंने साहित्‍य अकादमी में फोन लगा दिया। किसी ने उठाया। मैंने जानना चाहा कि अकादमी से पुरस्‍कृत लेखकों के निधन पर क्‍या कोई आधिकारिक बयान जारी करने या श्रद्धांजलि आदि देने का चलन है या नहीं। बताया गया कि ऐसा ज़़रूरी नहीं है, लेकिन कभी-कभार होता भी है। मैंने पूछा कि 2006 में साहित्‍य अकादमी से सम्‍मानित कन्‍नड़ के लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्‍या पर अकादमी ने कोई बयान जारी किया है क्‍या? वह बोले, ''नहीं नहीं, यह तो सरकारी विभाग है। नॉर्मल मौत होती तो सोचा जा सकता था लेकिन इसमें तो विवाद हो जाएगा न।'' मैंने पूछा कि अकादमी के भीतर कलबुर्गी के बारे में किसी ने बयान आदि का कोई प्रस्‍ताव रखा हो या चर्चा ही की हो, ऐसा कुछ हुआ है क्‍या? वह बोले, ''नहीं जी, किसी ने कोई बात नहीं की है।''

 

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