Advertisement

हंस सालाना गोष्ठी

हर साल की तरह इस साल भी हंस की सालाना गोष्ठी दिल्ली के एवाने गालिब सभागार में हुई। प्रेमचंद जयंती पर होने वाली गोष्ठी में इस बार का विषय था, लोकतंत्र और राष्ट्रवाद में मीडिया की भूमिका।
हंस सालाना गोष्ठी

कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम अग्रवाल ने करते हुए कहा, राष्ट्रवाद का तर्क निर्विवाद है, उसे नकारा नहीं जा सकता लेकिन इसके लिए लोगों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। इस गोष्ठी में वक्ता के रूप में वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई, प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष मृणाल पांडे, वरिष्ठ पत्रकार और सांसद चंदन मित्र, स्वतंत्र पत्रकार सईद नकवी, युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार मौजूद थे।   

राजदीप सरदेसाई ने कहा कि अब पत्रकार कलम छोड़ कर निर्णायक बन गए हैं। यह दुखद है। मीडिया दबाव डालने और लॉबिंग का माध्यम बन गया है। मृणाल पांडे ने कहा, हिंदी ने अपनी तैयारी अभी भी नहीं की है। हिंदी के उपभोक्ता को हम अभी भी कुछ नहीं दे पा रहे हैं। वही चंदन मित्र ने कहा, घोटालों में मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निभाई है। सईद नकवी ने वैश्विक स्तर पर मीडिया की भूमिका की बात की। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad