हिंदी की जानी-मानी साहित्यकार ममता कालिया को वर्ष 2017 का प्रतिष्ठित ‘व्यास सम्मान’ देने की आज घोषणा की गई। ममता कालिया को उनके उपन्यास दुक्खम-सुक्खम के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने यह निर्णय लिया है।
ममता कालिया को सत्ताइसवें व्यास सम्मान से नवाजा जाएगा। दुक्खम सुक्खम 2009 में प्रकाशित हुआ था। ममता कालिया ख्यात साहित्यकार हैं। दुक्खम सुक्खम के अलावा ‘बेघर’, ‘नरक-दर-नरक’, ‘सपनों की होम डिलिवरी’, ‘कल्चर वल्चर’, ‘जांच अभी जारी है’, ‘निर्मोही’, ‘बोलने वाली औरत’, ‘भविष्य का स्त्री विमर्श’ समेत कई पुस्तकें हैं। उनकी कहानियां भी काफी चर्चित रही हैं।
उनकी कहानियों में मध्यवर्ग का अलग ही चित्रण मिलता है। अपने पात्रों का सजीव चित्रण करने वाली ममता कालिया की भाषा सहज और सरल होती है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी समकालीन लेखिकाओं से अलग मुकाम बनाया है।
यह सम्मान दस वर्ष की अवधि में हिन्दी में प्रकाशित किसी रचना को दिया जाता है। 1991 में शुरू किया गया यह पुरस्कार की गई थी। पहला व्यास सम्मान डॉ राम विलास शर्मा को दिया गया था। इस साल दो नवंबर 1940 को वृन्दावन में जन्मी ममता कालिया को यह पुरस्कार दिया जाएगा। हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी ममता कालिया लिखती रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रजी में एम.ए. की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मुंबई के एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया। बाद के कई वर्ष वह इलाहाबाद के एक डिग्री कॉलेज में प्राचार्य रहीं और यहीं से सेवानिवृत्त हुईं। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा यशपाल कथा सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान एवं राम मनोहर लोहिया सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त उन्हें वनमाली सम्मान एवं वाग्देवी सम्मान से भी नवाजा गया है।