नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आज नवरात्र की तर्ज पर नौ दिवसीय विश्व पुस्तक मेला बाकायदा शुरू हो गया। हंस ध्वनि हाल में अपने उद्धाटन संबोधन में मानव संसाधन राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा महेन्द्र नाथ पांडेय ने किताब के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि पुस्तकें हमारे संस्कारों की संवाहक हैं। पांडेय ने हाल में उपस्थित पुस्तक प्रेमियों को नव वर्ष और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की हीरक जयंती और मेले की रजत जयंती की बधाई दी। उन्होंने भारत को विभिन्न संस्कृतियों का देश बताय और कहा कि इनके मेल-मिलाप से ही मेला संस्कृति का विकास हुआ। मेला और फेस्टिवल की तुलना करते हुए कहा कि फेस्टिवल सिर्फ उत्सव है, जब कि मेला में मिलन का भाव समाहित है। वहां मेल-मिलाप का आभास होता है। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बनारस के अपने संबोधन में कहा था कि विकास के लिए तकनीकी विकास जरूरी तो है, लेकिन जिस तरह से आदमी मशीनों की कठपुतली होता जा रहा है, ऐसे में अगर किताबें नहीं रहेंगी तो हम इंसान न रह कर रोबोट हो जाएंगे। मेले की थीम मानुषी को भी उन्होंने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ से जोड़ा। काव्य के तीन भेदों को याद कर पठ्य काव्य की महत्ता मे कहा कि पुस्तकें ज्ञान का माध्यम होने के साथ ही दुख और परेशानी के क्षणों में विश्रांति देती हैं। हमारे यहां गीता-रामायण की तरह कुरआन और बाइबिल का भी सम्मान है।
पांडेय ने एनबीटी की प्रशंसा में कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के उन्नयन के साथ ही अंग्रेजी पुस्तकों के प्रकाशन में भी अमेरिका, ब्रिटेन के बाद भारत का ही नाम लिया जाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रतिभा रे ने कहा कि लेखका का काम पुस्तक लिखने भर का है उसे पूर्णता पाठक देता है। इसलिए पठन-पाठन की संस्कृति और विकसित करने की जरूरत है। सभी लेखक आशावादी होते हैं। भारत के महिला लेखन हमेशा कुरीनियों के विरुद्ध रहा। समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और शांति कायम करने में उनका विशेष योगदान रहा।
भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत टोमाश लोजांस्की ने भारत और यूरोप के देशों के सांस्कृतिक संबंध को रेखांकित करते हुए 2018 के पुस्तक मेला का अतिथि देश बनाए जाने पर खुशी जताई।
स्वागत उद्बोधन में अतिथियों के अभिनंदन और न्यास की उपलब्धियों और योजनाओं की चर्चा के बाद कहा पुस्तकें व्यक्ति सी सबसे अच्छी मित्र हैं। इसे संचालिका ने भी दोहराया। एनबीटी कार्यकारी निदेशक शुभ्रा सिंह ने सहयोगी आईटीपीओ के अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तकें शांति और सौहार्द की संवाहक हैं। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक रीता चौधरी ने किया। हालांकि मेले में भीड़ अपेक्षाकृत कम रही लेकिन इसे मौसम का असर माना जा रहा है।