हर वर्ष आलोचना के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित डॉ. देवीशंकर अवस्थी सम्मान इस साल युवा आलोचक और कवि सुजाता को उनकी पुस्तक ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ के लिए दिया जाएगा।
पुस्तक ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ में कवि-कथाकार, आलोचक सुजाता ने विस्तार से विचार, आलोचना और सृजन में स्त्री पक्ष की स्थिति का गंभीरता और गहन अध्ययन के साथ विश्लेषण किया है। आधुनिक विश्व में स्त्री-विमर्श की प्रमुख स्थापनाएं, रीतिकालीन कविता, भारत में स्त्री-सृजन की परंपरा, लोकगीत, उन्नीसवीं सदी के सुधार आंदोलन, स्वतंत्रता के बाद के स्त्री लेखन की विशद और कुशाग्र विवेचना करने के साथ-साथ सुजाता ने पांच स्त्री-कवियों का जतन-समझ-संवेदना से पाठ किया है।
2022 के लिए सर्वसम्मति से निर्णय राजेन्द्र कुमार, नन्द किशोर आचार्य, अशोक वाजपेयी और कमलेश अवस्थी ने लिया। चयन समिति ने कहा कि “यह पुस्तक आलोचना के क्षेत्र में एक विचारशील और वांछित हस्तक्षेप है।”
सुजाता समकालीन हिंदी साहित्य में चर्चित नाम हैं। हाल ही में उनकी नई पुस्तक ‘पंडिता रमा बाई’ आई है। इससे पहले एक उपन्यास ‘एक बटा दो’ प्रकाशित हो चुका है। ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। पुस्तक में स्त्री विमर्श को गहन शोध के पाठको के सामने लाया गया है। इसमें समकालीन सृजन की पड़ताल भी शामिल है।
पुरस्कार समारोह 5 अप्रैल को दिल्ली में सहित्य अकादमी के सभागार में होगा। अध्यक्षता मृदुला गर्ग करेंगी । इससे पहले आलोचक एवं कवि अच्युतानंद मिश्र को उनकी पुस्तक ‘कोलाहल में कविता की आवाज’ के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया था।