भरतनाट्यम की नृत्ययांगना तथा गुरु के रूप में विदुषी सरोजा वैद्यनाथन का मौलिक स्थान है। उत्तर भारत खासकर राजधानी दिल्ली के लोगों को इस समृद्ध नृत्य शैली से अवगत कराने और राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में उनका बहुमूल्य योगदान है। उनके गणेश नाट्यालय में इस परंपरागत नृत्य का गुरु सरोजा वैद्यनाथन का समग्र रूप से प्रशिक्षण तकरीबन पांच दशकों तक कायम रहा। उनकी छत्रछाया में सीखे शिष्यों की लंबी सूची है। दो साल पहले उनके निधन के बाद नाट्यालय की बागडोर उनकी बहु तथा सुविख्यात नृत्यांगना सुश्री रमा वैद्यनाथन ने संभाला और विधिवत ढंग से छात्रों को नृत्य सिखाना शुरू किया।
हाल ही में गुरु सरोजा की स्मृति में नाट्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर सरोजा जी की वरिष्ठ शिष्यां अनुपा ठकुराता और अरविन्दम फाउन्डेशन के विकलांग बच्चो द्वारा संगीत और नृत्य की प्रस्तुति हुई। अमेरिका के अटलांटा में बसी अनुपा ठकुराता और उनके शिष्यों ने गुरु सरोजा वैद्यनाथन की नृत्य-संरचना स्वरांजलि और सलाम दारू को एकल और समूह नृत्य में बड़े उत्साह और तन्मयता से प्रस्तुत किया| भरतनाट्यम में मंजी और परिपक्व अनुपा ने अपने रोमांचक एकल नृत्य से दर्शकों को मोह लिया। उन्होंने परंपरागत नृत्य के चलन को बखूबी प्रस्तुत किया। नृत्य में अंग संचालन, हस्त मुद्राएं, पद संचालन में शुद्ध चलन और अच्छी खनक थी।
अगले कार्यक्रम में अरविन्दम फाउन्डेशन के विकलांग छात्रों ने संगीत और नृत्य प्रस्तुति दी। प्राकृतिक रूप से इन कमजोर बच्चों को भावनात्मक स्तर पर संगीत-नृत्य से जोड़ने और कला प्रदर्शन में निपुण बनाने में फाउन्डेशन ने जो प्रयास किया, वह बहुत सार्थक साबित हुआ। इन बच्चों ने गायन, वादन, भरतनाट्यम नृत्य, पारंपरिक मार्शल आर्ट कलरिपयातु और ड्रम को बजाने में जो निपुणता और प्रतिभा दर्शायी, वह आश्चर्यचकित करने वाली थी।
अरविन्दम की संस्थापक लोकेश अब्राल और भरतनाट्यम की प्रशिक्षक वैष्णवी दोरे रमा वैद्यनाथन के शिष्य हैं, जिन्होंने इन असहाय बच्चो को कला के क्षेत्र में काबिल बनाया| अनुपा ठाकुरता ने अमेरिका में दीक्षा स्कूल ऑफ परफार्मिग आर्टस की स्थापना की है। वहां वे भारतीय और विदेशी छात्रों को पूरी निष्ठा और लगन से संगीत और नृत्य की शिक्षा प्रदान कर रही है।