केन्द्र सरकार ने बुधवार को कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण तय है। यह जानकारी केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सदन को दी है।
उन्होंने राज्यसभा में बताया कि घाटे से जूझ रही एयर इंडिया को अब चलाना असंभव है। अब इसके निजीकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। यह पहली बार है जब सरकार ने साफ तौर पर एयर इंडिया के निजीकरण की बात कही है।
इससे पहले सरकार एयर इंडिया में विनिवेश की कोशिश कर रही थी। दरअसल, एयर इंडिया को इस वित्त वर्ष में 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करना है। कंपनी ने इस पर सरकार की मदद मांगी थी, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। सरकार इस एयरलाइन में अपनी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती थी।
सैलरी संकट, विमानों के इंजन बदलने को पैसा नहीं
पिछले दिनों कर्ज के बोझ तले दबी एयर इंडिया के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं होने की खबर आई थी। पिछले साल भी कई बार ऐसी खबरें आती रही हैं। वहीं पिछले महीने एयर इंडिया को अपने 127 विमानों के बेड़े में मजबूरन 20 विमानों का परिचालन बंद करना पड़ा, क्योंकि उसके पास इन विमानों के इंजन को बदलने को लेकर कोष की कमी है। इनमें दो गलियारे वाले चौड़े विमान तथा एक गलियारे वाले विमान शामिल हैं।
एक अधिकारी ने बताया था कि कर्ज में डूबी एयर इंडिया सरकार से मिल रही मदद से चल रही है। उसे इन विमानों के इंजन के लिए कम से कम 1,500 करोड़ रुपये की जरूरत है। चूंकि फिलहाल कहीं से कोष आते नहीं दिख रहा, ऐसे में इन विमानों के जल्दी उड़ान भरने की संभावना कम है। घाटे में चल रही एयरलाइन के बेड़े में 127 विमान हैं। इसमें 45 बड़े विमान (27 बी 787 और 18 बी 777), जबकि शेष एक गलियारे वाले विमान एयरबस ए 320 हैं।
एयरलाइन के पायलटों ने लगाए थे आरोप
पिछले साल अगस्त में एयरलाइन के पायलटों के एक संगठन आईसीपीए (इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन) ने आरोप लगाया था कि कंपनी के 19 विमान कल-पुर्जों के अभाव में परिचालन से बाहर हैं। इससे एयरलाइन को नुकसान हो रहा है।