सैन्य मंचों के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने इसबार रक्षा बजट को 2022-23 के लिए पिछले साल के 4.78 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट में, पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1,52,369 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जिसमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य हार्डवेयर खरीदना शामिल है।
बजट के दस्तावेजों के अनुसार, रेवेन्यू एक्सपेंडिचर के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रखरखाव का खर्च शामिल है। इसके अलावा अलग से, रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जबकि रक्षा मंत्रालय (नागरिक) के लिए 20,100 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वित्त वर्ष 2022-23 में स्टार्ट-अप और निजी संस्थाओं के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत अलग रखने के केंद्रीय बजट में प्रस्ताव को एक "उत्कृष्ट कदम" बताया। राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, "रक्षा पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत घरेलू खरीद के लिए आवंटित किया गया है। यह 'वोकल फॉर लोकल' पुश के अनुरूप है और यह निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा।" उन्होंने कहा कि रक्षा सहित कई क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त राशि आवंटित की गई है।
संसद में अपने बजट भाषण में, सीतारमण ने कहा कि सरकार आयात को कम करने और सशस्त्र बलों के लिए उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
वित्त मंत्री ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षाविदों के लिए खोला जाएगा, इसके लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा, "निजी उद्योग को एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।"