सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, साल 2022-23 में 8-8.5% देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। भारत की जीडीपी में चालू वित्त वर्ष में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, "अग्रिम अनुमान बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020-21 में अनुबंध के बाद 9.2 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ देखे जाने की उम्मीद है।" इसका मतलब यह है कि समग्र आर्थिक गतिविधि महामारी के पहले वाले स्तर से आगे निकल गई है।
लगभग सभी इंडेक्स बताते हैं कि क्वाटर 1 में "दूसरी लहर" का आर्थिक प्रभाव 2020-21 में लगे पूर्ण लॉकडाउन की तुलना में बहुत छोटा था। हालांकि दूसरे लहर का स्वास्थ्य प्रभाव अधिक गंभीर था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा में वार्षिक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुए हैं और पिछले वर्ष 3.6 प्रतिशत की वृद्धि के बाद इस क्षेत्र में 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि देखे जाने की उम्मीद है।
अग्रिम अनुमान बताते हैं कि उद्योग का जीवीए (खनन और निर्माण सहित) 2021-22 में 11.8 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। सेवा क्षेत्र महामारी से सबसे अधिक प्रभावित रहा है। पिछले वर्ष के 8.4 प्रतिशत संकुचन के बाद इस वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र के 8.2 प्रतिशत के दर से बढ़ने की अनुमान है।
इसी तरह, बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण सकल अचल पूंजी निर्माण भी महामारी से पहले के स्तर पर पहुच गया है। 2021-22 में अब तक माल और सेवाओं दोनों का निर्यात असाधारण रूप से मजबूत रहा है।