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बजट 2018: आधी आबादी के हाथ खाली, महिलाओं की उम्मीदें जो वित्त मंत्री ने अधूरी छोड़ीं

महिलाओं के पास आशाओं की लंबी सूची थी लेकिन जैसे ही वित्त मंत्री ने बजट भाषण खत्म किया महिलाओं की कई...
बजट 2018: आधी आबादी के हाथ खाली, महिलाओं की उम्मीदें जो वित्त मंत्री ने अधूरी छोड़ीं

महिलाओं के पास आशाओं की लंबी सूची थी लेकिन जैसे ही वित्त मंत्री ने बजट भाषण खत्म किया महिलाओं की कई उम्मीदें अधूरी रह गईं। उज्‍ज्‍वला योजना को छोड़ दिया जाए तो 2018 का आम बजट महिलाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। घोषणा के मुता‌‌बिक, उज्‍ज्‍वला योजना के तहत 8 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके अलावा आधी आबादी के लिए वित्त मंत्री के झोले से कुछ ख्‍ाास नहीं निकला है।

सेनिटेशन पर बात, सैनेटरी पैड पर नहीं

हालांकि जीएसटी काउंसिल की बैठक अलग से होती है लेकिन महिलाओं को उम्मीद थी कि सैनेटरी पैड को जीएसटी से बाहर रखने की मांग पर वित्त मंत्री कोई कदम उठाएंगे या इस पर कुछ कहेंगे। महिलाओं ने सैनेटरी नैपकिन को जीएसटी से बाहर किए जाने की उम्मीद लगा रखी है जिस पर ‌फिलहाल बजट भ्‍ााष्‍ाण्‍ा में कोई चर्चा नहीं हुई। वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि आने वाले 2 साल में 2 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। स्वच्छ भारत अभियान के तहत संपूर्ण भारत को खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को शौच के लिए कई बार दिन ढलने का इंतजार करना पड़ता है। वेसे इसका फायदा पूरे परिवार को मिलेगा।

सुरक्षा पर न हो समझौता

2013 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने महिला सुरक्षा के लिए 10 अरब रुपये निर्भया फंड नाम से आवंटित किए थे। लेकिन इसका पूरी तरह उपयोग नहीं हो सका। इस साल के वित्त वर्ष में जेटली ने महिला सुरक्षा पर कोई बात नहीं की। न उस फंड को घटाया गया न बढ़ाया गया है।

रसोई पर न हो संकट

रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों पर महंगाई का साया है। महिलाओं को उम्मीद थी कि इस पर बात होगी। लेकिन इस वित्त वर्ष में सीधे-सीधे तौर पर रसोई  फायदा पहुंचता नहीं दिख रहा। तेल, दाल, मसालों पर यथास्थिति ही है। यानी गृहणियों को त्वरित फायदे की कोई उम्मीद नहीं है।

पढ़ाई और रोजगार के मौके

महिलाएं चाहती थीं कि उच्च शिक्षा और रोजगार के मसलों पर बात हो। लेकिन वित्त मंत्री ने इस पर कोई बात नहीं की है। नया काम शुरू करने के लिए सस्ते ब्याज दर पर ऋण की उपलब्धि की भी आस महिलाओं ने लगा रखी थी।

टैक्स में अतिरिक्त छूट नहीं

टैक्स चुकाने वाली महिलाओं की मांग थी कि सरकार बजट में उनका खास खयाल रखे। लेकिन वित्त मंत्री ने यह मांग भी अनदेखी कर दी। महिलाओं का मानना है कि यदि कोई महिला सिंगल पैरेंट है तो उसे बच्चों के ठीक प्रकार से परवरिश के लिए अतिरिक्त छूट मिलनी चाहिए।

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