भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों के प्रमुखों के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में चुनौती बरकरार है। इसलिए आर्थिक चुनौतियां बैंकों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। बैंकों को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इतना ही नहीं, दास ने यह भी कहा कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में सुधार हो रहा है और यह मजबूत बना हुआ है।
मजबूत हो रही बैंकिंग सेक्टर की स्थिति
आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर की स्थिति मजबूत हो रही है। बुधवार को हुई बैठक के दौरान स्ट्रेस्ड असेट्स को लेकर चर्चा हुई। मामलों का निपटारा करने के लिए दास ने बैंकों से आपस में बेहतर तालमेल स्थापित करने को कहा।
आरबीआई ने घटाया जीडीपी अनुमान
इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।
जीडीपी वृद्धि की धीमी दर से चिंतित नहीं: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि आर्थिक मंदी को लेकर वह चिंतित नहीं हैं क्योंकि ‘जो कुछ चीजें’ हो रही हैं उनके अपने प्रभाव होंगे। संप्रग सरकार में वित्त मंत्री रहे मुखर्जी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने में कुछ भी गलत नहीं है। भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में जीडीपी वृद्धि की धीमी दर को लेकर मैं चिंतित नहीं हूं। कुछ चीजें हो रही हैं जिनके अपने प्रभाव होंगे।
‘अब सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत’
उन्होंने कहा कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था। उन्होंने कहा कि तब मैं वित्त मंत्री था। सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया। मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वार्ता जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में डाटा की शुचिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मुखर्जी ने कहा कि डाटा की शुचिता बनाए रखी जानी चाहिए, अन्यथा इसका खतरनाक प्रभाव होगा।
4.5 फीसदी पर भारत की जीडीपी
इससे पहले जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था में सुस्ती गहराने के संकेत मिले हैं। जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है।
2013 तिमाही में 4.3 फीसदी रही थी जीडीपी विकास दर
इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।