नीति आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि मोटे तौर पर भारत यात्रियों की आवाजाही से संबंधी ऊर्जा मांग में 64 प्रतिशत की बचत कर सकेगा। वहीं, इससे कार्बन उत्सर्जन में भी 37 प्रतिशत की कमी लाई जा सकेगी। नीति आयोग और रॉक माउंटेन इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट इंडिया लीप्स एहेड: ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी सॉल्यूशन में कहा गया है कि इससे सालाना 15.6 करोड़ टन डीजल और पेट्रोल के बराबर ईंधन की बचत की जा सकेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल के मौजूदा मूल्यों के हिसाब से देखा जाए तो इससे 2030 तक करीब 3.9 लाख करोड़ रुपये का ईंधन बचाया जा सकता है। आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने कहा कि चाहे किसी को अच्छा लगे या न लगे, इलेक्ट्रिक वाहन भारत में अपनी पकड़ बनाएंगे। उन्होंने कहा चुनौती यह है कि हम इसे कैसे तेजी से करेंगे।
कान्त ने कहा कि बैटरी की लागत प्रत्येक पांच साल में आधी हो रही है। इससे अगले चार से पांच साल में बैटरी के साथ इलेक्ट्रिक वाहन भी पेट्रोल या डीजल वाहन से बहुत अधिक महंगे नहीं होंगे। वहीं, पेट्रोल वाहनों की तुलना में इनकी परिचालन लागत मात्रा 20 प्रतिशत तक होगी।