सरकार ने कहा कि अभी स्मार्टफोन पर 1 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है और वैट भी जोड़ा जाता है। ऐसे में ग्राहक के हाथ में जब एक स्मार्टफोन पहुंचता है तो उसकी कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह किस राज्य में खरीदा गया। हर राज्य में फोन की अंतिम कीमत अलग-अलग होती है, जिसमें 5 फीसदी से 15 फीसदी का अंतर आता है। जीएसटी काउंसिल ने स्मार्टफोन हैंडसेट पर 12 फीसदी की दर से ही टैक्स लगाने का फैसला किया है। इससे करीब डेढ़ फीसदी का फायदा हो सकता है।
मेडिकल उपकरणों पर कुल टैक्स देनदारी अभी 13 फीसदी से ज्यादा है, जबकि इसके लिए जीएसटी रेट 12 फीसदी है। इसी तरह, सीमेंट पर जीएसटी के तहत 28 फीसदी रेट है, जो अभी अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों के अनुसार 31 फीसदी है। हवन सामग्री समेत पूजा सामग्री को ‘शून्य’ श्रेणी के तहत रखा गया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी के बाद दवाईयां पर कर का बोझ कम हो जाएगा, जिनमें आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक भी शामिल हैं। दवाइयों पर अभी मौजूदा कुल टैक्स 13 फीसदी से ज्यादा हो जाता है। वहीं, जीएसटी के तहत दवाइयों पर टैक्स रेट 12 फीसदी रखा गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद ने बैठक के पहले सत्र में जीएसटी व्यवस्था के तहत नियमों को मंजूरी दी है। परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल हैं। 80 से 90 प्रतिशत वस्तुओं, सेवाओं के बारे में यह तय कर लिया है गया कि उन्हें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के कर ढांचे में कहां रखा जाए। मंत्रालय ने हेल्थकेयर, एजुकेशन और लॉटरी सर्विसेस को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है।