पिछले 45 सालों की तुलना में साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई थी। अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलने से पीछे नहीं हटी। कांग्रेस ने इन आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बेरोजगारी की दर पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा होने से जुड़े आंकड़े सरकार छिपा रही है और इसी वजह से राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा।
इसी रिपोर्ट को लेकर सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने दिया इस्तीफा
इसी रिपोर्ट के जारी न होने के कारण सोमवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के कार्यकारी अध्यक्ष सहित दो सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया था। इन दोनों ही सदस्यों का कार्यकाल जून 2020 तक का था। दरअसल आयोग ने तो रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी लेकिन सरकार उसे जारी नहीं कर रही थी।
'अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रहे थे इसलिए दिया इस्तीफा'
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के चेयरपर्सन पीसी मोहनन ने इस्तीफे देने के बाद कहा न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि वो अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रहे थे। इसलिए उन्होंने अपना पद छोड़ने का फैसला किया। पीसी मोहनन ने कहा कि बेरोजगारी को लेकर नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के आंकड़े जारी होने में देरी की वजह से उन्होंने और जेवी मीनाक्षी ने एनएसी छोड़ा।
जनवरी 2019 में इस रिपोर्ट को जारी करने की सिफारिश की गई थी
एनएसएसओ केंद्रीय एजेंसी है जो बड़े सर्वे करती है। रोजगार को लेकर एनएसएसओ की सर्वे रिपोर्ट दिसंबर 2018 में जारी नहीं की गई थी। मोहनन ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने जनवरी 2019 में रोजगार रिपोर्ट जारी करने की सिफारिश की गई थी। जो अभी तक वेबसाइट में नहीं है। मोहनन ने इसे इस्तीफे की एक वजह बताते हुए कहा कि हमने जनवरी 2019 में इस रिपोर्ट को जारी करने की सिफारिश की थी।
इससे पहले 1972-73 में बेरोजगारी के आंकड़े अधिक थे
एनएसएसओ ने ये आंकड़े जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच जुटाए हैं। नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद देश में रोजगार की स्थिति पर आया यह पहला सर्वेक्षण है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले 1972-73 में बेरोजगारी के आंकड़े इतने अधिक थे। वहीं, साल 2011-12 मेें देश में बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी तक कम हो गई थी।
बेरोजगारी की दर 2017-18 में 17.4 फीसदी हो गई
साल 2011-12 में ग्रामीण युवा पुरुषों (15-29 आयु वर्ग) में बेरोजगारी की दर 5 फीसदी थी जबकि 2017-18 में यह बढ़कर 17.4 फीसदी हो गई। वहीं, उसी आयु वर्ग की ग्रामीण महिलाओं में बेरोजगारी दर 2011-12 की तुलना में 4.8 फीसदी से बढ़कर 2017-18 में 17.3 फीसदी हो गई।
इसी तरह, शिक्षित ग्रामीण महिलाओं में 2004-05 से 2011-12 तक बेरोजगारी दर 9.7 फीसदी से 15.2 फीसदी के बीच थी जबकि साल 2017-18 में यह बढ़कर 17.3 फीसदी हो गई। वहीं इस दौरान, श्रम बल की भागीदारी दर (सक्रिय रूप से नौकरी चाहने वाले लोगों की संख्या) भी कम हो गई। श्रम बल की भागीदारी दर 2004-05 से बढ़कर 2011-12 में 39.9 फीसदी हो गई थी, वहीं 2017-18 में घटकर 36.9 फीसदी हो गई।
नोटबंदी के बाद साल 2017 के शुरुआती 4 महीनों में खत्म हो गईं 15 लाख नौकरियां
इससे पहले, भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर कहा था कि ठीक नोटबंदी के बाद साल 2017 के शुरुआती चार महीनों में ही 15 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गुरुवार को एनएसएसओ के आंकड़े पर आधारित एक खबर साझा करते हुए ट्वीट किया कि मोदी जी, बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा! इसीलिये आप डेटा छिपा रहे थे। इसीलिये सांख्यिकी आयोग में इस्तीफे हुए। अपने ट्वीट में उन्होंने ये भी कहा कि वादा था हर साल 2 करोड़ नौकरियों का, पर आपकी सरकार ने तो नौकरियाँ ख़त्म करने का रिकॉर्ड बना दिया। सुरजेवाला ने कहा कि देश को नहीं चाहिये, युवाओं के भविष्य से खेलने वाली ऐसी भाजपा सरकार।
बता दें कि रणदीप सुरजेवाला ने अपने ट्वीट के साथ जो खबर शेयर की है उसमें दिए गए एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही जो पिछले 45 वर्षों के दौरान उच्चतम स्तर है।