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जीडीपी को नोटबंदी की अड़ंगी के बाद जेटली की सफाई, कहा- पूरी दुनिया मंदी की शिकार

वित्त वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में जीडीपी की विकास दर में गिरावट के बाद आज वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सफाई देने के लिए मोर्चा संभाला है।
जीडीपी को नोटबंदी की अड़ंगी के बाद जेटली की सफाई, कहा- पूरी दुनिया मंदी की शिकार

वित्तमंत्री ने कहा कि उन्हें विरासत में भ्रष्ट और अनिर्णय वाली व्यवव्स्था मिली थी। उन्होंने अर्थव्यवस्था की साख बहाल की है।

इतना ही नहीं जेटली ने कहा कि पिछले तीन साल में पूरी दुनिया में मंदी रही है। ऐसे में उन्होंने अर्थव्यवस्था में लोगों का विश्वास बहाल किया है। जेटली ने मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम बातें कही।

जीएसटी के बाद दिखेगा असर

जेटली ने कहा कि सरकार ने कमजोर तबके और अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जो काम किया है, उसका असर जीएसटी लागू होने के बाद दिखेगा. जीएसटी से काफी चीजें बेहतर होने वाली है। जीएसटी केंद्र सरकार का एक बड़ा कदम है जिसके लागू होने का बड़ा फायदा हमारी अर्थव्यवस्था को मिलेगा।    

 

 

भारत ने तेजी से किया विकास

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में भारत आर्थिक रूप सर्वाधिक तेजी से विकास करने वाला देश बन गया है. उनकी सरकार ने पुरानी अर्थव्यवस्था को बदलने की कोशिश की और गरीबों के विकास के लिए कई कड़े फैसले किए.

नोटबंदी से बदली छवि

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि तीन सालों में उनकी सरकार की कोशिश रही कि दुनिया में भारत की छवि एक भ्रष्टाचार मुक्त देश की बनाई जाए. इस दिशा में नोटबंदी ने बड़ा योगदान दिया. देश की छवि बदलने का असर ही है कि भारत में विदेशी निवेश बढ़ने के साथ ही दुनिया में भारत की साख मजबूत हुई  है.

 नोटबंदी से बढ़े आयकर दाता

उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से देश में आयकर दाताओं का दायरा बढ़ा है. देश की अर्थव्यवस्था पर इसका  सकारात्मक असर हुआ है.

लेकिन प्रेस वार्ता में जेटली पिछले वित्त वर्ष के जीडीपी के आंकडों पर बहुत कुछ कहने से बचते नजर आए। गौरतलब है सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 के चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2017 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ 6.1 फीसदी रही, जबकि इससे पहली तिमाही में यह 7 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी की ग्रोथ 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है जो वर्ष 2015-16 में रही 8 फीसदी की विकास दर से करीब एक फीसदी कम है।

 

 

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