जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया घोषित होनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसोल्वेंसी पिटीशन) स्वीकार कर ली है। यह खबर आने के साथ ही कंपनी का फ्लैैट बुक के चुके हजारों खरीदारों के माथे पर चिंता और गुस्से की लकीरें उभर आईं।
शुक्रवार से ही खरीदारों ने नोएडा सेक्टर-128 स्थिति जेपी ग्रुप के ऑफिस पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। शनिवार को कुछ लोगों ने दफ्तर में तोड़फोड़ भी की। नाराज लोगो को शांत करने के लिए कंपनी के चेयरमैन मनोज गौड ने भरसक प्रयास किए लेकिन नाराज खरीदारों ने उनकी एक न सुनी। इन लोगों का कहना है कि वे 5 सालों से घर मिलने का इंतजार कर रहें हैं लेकिन कंपनी उन्हें लगातार धोखा देती आ रही है। खरीदारों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया तो वे आमरण अनशन करेंगे।
जेपी इंफ्राटेक के फ्लैैैट खरीदारों की जेपी अमन ओनर वेलफेेेेयर्स एसोसिएशन के नेता डॉ कर्नल सुनील नागरात का कहना है कि कंपनी ने सोची-समझी साजिश के तहत बैंकों से मिलकर खुद को दिवालिया घोषित करवाने की चाल चली है। बैंक तो अपना पैसा निकाल लेंगे लेकिन खरीदार बर्बाद हो गए हैं। इस बीच, नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ने मदद का भरोसा देते हुए लोगों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है
हंगामे के बीच नोएडा विधायक पंकज सिंह भी मौके पर पहुंचे। उनके सामने खरीदारों ने 5 मांगेेंं रखी हैं। जो इस प्रकार है:
1.सरकार अब खुद अपने हाथ में ले यह प्रोजेक्ट
2.खरीददारों को बैंक की ईएमआई से छूट मिले
3.इस पूरे मामले की सीबीआई और कैग से जांच हो
4.यूपी और केंद्र सरकार मामले में स्पष्टीकरण दें
5.जेपी ग्रुप के मालिक जेल जाएं
पंकज सिंह ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर खरीददारो के साथ है। अधिकारियों से लेकर सीएम तक उनकी बात पहुंचेगी। गौरतलब है कि कई खरीददार अपनी जीवन भर की कमाई लगाकर 95 फीसदी तक पेमेंट कर चुके हैं। ऐसे में कंपनी के दिवालिया होने की खबर उनके लिए बड़ा सदमा है। बताया जाता है कि जेपी ग्रुप पर निवेशकों का करीब 18 हजार करोड़ रुपया बकाया और उसके करीब 32 हजार फ्लैैैट निर्माणाधीन हैं।