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राहत की चौथी किस्त में सिर्फ सुधारों की बात, कोयले का कॉमर्शियल खनन होगा, रक्षा में एफडीआई सीमा बढ़ेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की चौथी किस्त की घोषणा वित्त मंत्री...
राहत की चौथी किस्त में सिर्फ सुधारों की बात, कोयले का कॉमर्शियल खनन होगा, रक्षा में एफडीआई सीमा बढ़ेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की चौथी किस्त की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को की। पहले तीन दिन की ज्यादातर घोषणाओं की तरह नई घोषणा में भी राहत पैकेज जैसी कोई बात नहीं थी। पैकेज के नाम पर उन्होंने आठ क्षेत्रों में ढांचागत सुधारों की बात कही, जिनका असर भविष्य में दिखेगा, जबकि कोविड-19 से तबाह हुए लोग और इंडस्ट्री तत्काल मदद की आस लगाए बैठी थी। उन्होंने जिन सेक्टर में नियम बदलने की बात कही उनमें कोयला, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन, बिजली वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण (डिस्कॉम) का निजीकरण किया जाएगा। सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में वायबिलिटी गैप फंडिंग के लिए 8,100 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

कोल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50,000 करोड़ रुपये

वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार का एकाधिकार खत्म करते हुए कोयले का कॉमर्शियल खनन शुरू किया जाएगा। यह रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर आधारित होगा। कोयला पर्यावरण के लिए हानिकारक है, इसलिए इसे गैस में परिवर्तित करने के लिए इन्सेंटिव दिया जाएगा। भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है। खनन के लिए 50 नए ब्लॉक उपलब्ध कराए जाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के ब्लॉक भी निजी क्षेत्र को खनन के लिए दिए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कोल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही।

कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों का अंतर समाप्त होगा

वित्त मंत्री ने कहा कि खनिज क्षेत्र में नई एक्सप्लोरेसन-कम-प्रोडक्शन व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके तहत 500 खनिज ब्लॉक की नीलामी होगी। एल्युमिनियम इंडस्ट्री को राहत देने के लिए बॉक्साइट और कोल ब्लॉक की साझा नीलामी होगी। इससे एल्युमिनियम इंडस्ट्री की बिजली की लागत में कमी आएगी। कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों का अंतर समाप्त किया जाएगा, इससे खनन लीज को ट्रांसफर करना और सरप्लस खनिज की नीलामी आसान होगी।

रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ेगी

वित्त मंत्री ने कहा कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमेटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी। कुछ रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगेगी, इन्हें भारत में ही बनाया जाएगा। कुछ आयातित कलपुर्जों को भी देश में ही बनाया जाएगा। इन उपायों से रक्षा आयात बिल में कमी आएगी। बेहतर मैनेजमेंट के लिए ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड का निगमीकरण किया जाएगा और इनकी शेयर बाजार में लिस्टिंग की जाएगी।

एयरलाइंस के लिए एयर स्पेस बढ़ेगा, ईंधन खर्च कम होगा

कॉमर्शियल एयरलाइंस के लिए एयर स्पेस बढ़ाया जाएगा। फिलहाल एयरलाइंस को 60 फीसदी एयर स्पेस ही उपलब्ध है। उन्हें बहुत सी जगहों के ऊपर से उड़ाने भरने की अनुमति नहीं होती है, जिससे अपेक्षाकृत लंबा रूट तय करना पड़ता है। एयर स्पेस बढ़ने से एयरलाइंस का रूट छोटा होगा और नागरिक उड्डयन क्षेत्र को साल में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। सरकार ने इसे भी पैकेज मान लिया है। वित्त मंत्री ने बताया कि छह और एयरपोर्ट का विकास सरकारी निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत किया जाएगा।

सुधार के पुराने कदमों की भी दी जानकारी

वित्त मंत्री ने आर्थिक सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को भी दोहराया, जिनमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, जीएसटी, दिवालिया कानून (आईबीसी), ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सुधार, डायरेक्ट टैक्स में सुधार, पावर सेक्टर में सुधार शामिल हैं। निवेश प्रस्तावों को जल्दी मंजूरी देने के लिए सचिवों की अधिकारप्राप्त समिति बनाई गई है। निवेशकों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए हर मंत्रालय में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल गठित किया गया है। निवेश के लिहाज से आकर्षक राज्यों की रैंकिंग भी की जा रही है।

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