टैक्स टेररिज्म को खत्म करने और आयकर विभाग में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने ई-असेसमेंट स्कीम को नोटिफाई कर दिया है। इससे करदाता और आयकर अधिकारी के बीच सीधे आमना-सामना नहीं होगा। यह स्कीम 8 अक्तूबर से लागू होगी। ई-असेसमेंट के तहत केंद्रीय वित्त मंत्रालय एक राष्ट्रीय ई-असेसमेंट केंद्र बनाएगा। यह केंद्र किसी मामले के असेसमेंट के लिए चयन करने के साथ ही नोटिस जारी करेगा। करदाता से जवाब मिलने के बाद 15 दिनों के भीतर केंद्र से स्वचालन प्रक्रिया के माध्यम से आकलन अधिकारी को मामला भेज दिया जाएगा।
फेसलेस और नेमलेस स्कीम
अधिसूचना में कहा गया है कि इसके तहत किसी भी तरह की कार्रवाई के दौरान करदाता को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से राष्ट्रीय ई-असेसमेंट सेंटर या क्षेत्रीय ई-असेसमेंट सेंटर या किसी अन्य इकाई में आयकर अधिकारी के सामने पेश नहीं होना पड़ेगा। इसे फेसलेस या नेमलेस स्कीम भी कहा जाता है।
मिलेंगी ये सुविधाएं
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट करदाता से किसी भी तरह का संपर्क सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से करेगा। नोटिस या अन्य मामलों की अपडेट जानकारी रियल टाइम अलर्ट के जरिए दी जाएगी।
- आईटीआर (ITR) पूरा करने या रिफंड के मामलों में करदाता कभी इनकम टैक्स अधिकारी के बारे में जानकारी नहीं ले सकेंगे, जिससे गोपनीयता बनी रहेगी।
- केंद्रीय यूनिट के जरिये ही करदाता और आयकर विभाग के बीच संदेशों का आदान-प्रदान होगा। इससे आयकर विभाग के कामकाज में आमूलचूल बदलाव आएगा।
- इनकम टैक्स का मामला सीधे अधिकारी को सौंपे जाने का चलन खत्म होगा। कर चोरी पकड़ने के लिए डाटा एनालिटिक्स, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग का इस्तेमाल होगा।