प्रतिभाओं को आकर्षित, विकसित और उन्हें अपने यहां बनाए रखने के मामले में भारत की वैश्विक रैंकिंग तीन अंक सुधर कर 51वीं हो गई है। इस मामले में स्विट्जरलैंड अब भी पहले स्थान पर बना हुआ है। स्विट्जरलैंड के प्रमुख बिजनेस स्कूल आइएमडी ने यह सूची जारी की है। इस वार्षिक रैंकिंग में 63 देश शामिल किए जाते हैं।
रैकिंग में यूरोप का दबदबा कायम है। यूरोप के स्विट्जरलैंड, डेनमार्क और बेल्जियम इस मामले में सबसे प्रतिस्पर्धी हैं। ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, स्वीडन और लक्जमबर्ग भी शीर्ष दस देशों में हैं। रिपोर्ट के अनुसार,‘‘यूरोप की जबरदस्त शिक्षा प्रणाली उसे भीड़ से अलग बनाती है। यह उसे स्थानीय प्रतिभा के विकास और उसी समय विदेशी प्रतिभा और उच्च कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने की क्षमता प्रदान करता है। इससे कई यूरोपीय कारोबार अपने प्रदर्शन के लिए उन पर ऐतबार करते हैं।’’
यह रैंकिंग तीन प्रमुख श्रेणियों पर निर्भर करती है। यह श्रेणियां निवेश एवं विकास, लोगों के बीच उसकी अपील और उन्हें लेकर देश की तैयारी है। भारत को इसमें क्रमश: 62वां, 43वां और 29वां स्थान प्राप्त हुआ है। आइएमडी स्विट्जरलैंड के प्रतिस्पर्धात्मकता मामलों के प्रमुख ऑर्चुरो ब्रिस ने कहा कि स्थानीय प्रतिभा को अपने यहां बनाए रखने और विदेशी कार्यबल को आकर्षित करने के क्षेत्र में भारत अच्छा काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों ही बातों में घरेलू स्तर पर रोजगार के लिए पारिश्रमिक स्तर, जीवनस्तर की गुणवत्ता, सुरक्षा और संपत्ति का अधिकार आवश्यक तत्व हैं। ब्रिक्स समूह में शामिल चीन की स्थिति सबसे बेहतर है और सूची में उसका 40वां स्थान है। इसके बाद 43वें स्थान पर रूस, 48वें पर दक्षिण अफ्रीका और 52वें पर ब्राजील हैं।