केन्द्र सरकार ने वाणिज्यिक बैंकों की तरह अब कोऑपरेटिव बैंक को भी आरबीआई के दायरे में लाने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अब इन बैंकों का ऑडिट भी होगा और ऋण माफी के लिए नियमों का पालन करना होगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह पिछले एक सप्ताह में बैंक में जमाखाता रखने वालों को सुरक्षा प्रदान करने से जुड़ा सरकार का दूसरा फैसला है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह सरकार ने बैंकों में जमा धनराशि पर 5 लाख के बीमा की घोषणा की थी।
देश में हैं 1540 कॉपरेटिव बैंक
जावड़ेकर ने कहा कि देश में 1540 कॉपरेटिव बैंक हैं। इनमें करीब 8 करोड़ 60 लाख खाताधारक हैं और 5 लाख करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। अब बैंकिंग नियमन संशोधन विधेयक के जरिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार करते हुए कॉपरेटिव बैंक को भी आरबीआई के नियमन में लाया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि कॉपरेटिव बैंक की प्रशासनिक व्यवस्था सहकारी पंजीयक के नियमों के अनुसार पहले की तरह चलती रहेगी।
जावड़ेकर ने कहा कि कि अब उम्मीदवारों को कॉपरेटिव बैंक अधिकारी बनने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा, "सीईओ को नियुक्त करने की अनुमति दी जाएगी। आरबीआई इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगा और उनका भी ऑडिट किया जाएगा। इसके अलावा ऋण माफी के लिए नियमों का पालन करना होगा। कॉपरेटिव बैंक की स्थिति बिगड़ने पर उसका नियंत्रण आरबीआई के पास चला जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "अधिकांश कॉपरेटिव बैंक देश में अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ बैंकों द्वारा गलत व्यवहार पूरे क्षेत्र को खराब करता है। यह कदम जमाकर्ताओं के पैसे की रक्षा के लिए उठाया गया है।
बता दें कि पिछले दिनों लगातार देश के कई हिस्सों से कॉपरेटिव बैंक में फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं। जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक ( पीएमसी बैंक) का मामला सामने आने के बाद तब इस बैंक को आरबीआई ने अपने नियंत्रण में ले लिया था।