घोटाले में फंसे पीएमसी बैंक के सामान्य कामकाज पर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिबंध लगने के करीब एक माह बाद भी इसके जमाकर्ता अनिश्चितता के बीच में झूल रहे हैं। इस एक महीने में उनके लिए हालात खराब ही हुए हैं। कई जमाकर्ताओं के लिए बच्चों की फीस भरना और इलाज का खर्च उठाना भी मुश्किल हो गया है। पिछले एक महीने में तीन निर्दोष लोगों की जानें जा चुकी हैं।
जीवन भर की कमाई डूबने का डर
कई जमाकर्ताओं को डर सता रहा है कि वे बैंक के अपने बचत खाते या फिक्स डिपॉजिट में जमा जीवन भर की गाढ़ी कमाई गवां सकते हैं। कारोबारी एम. ए. चौधरी की शिकायत है कि वे अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। पीएमसी बैंक के चेक बाउंस होने से वे न तो टैक्स भर पा रहे हैं और न ही बिजली का बिल भर पा रहे हैं। बैंक के संकट में फंसने के बाद से अब तक तीन जमाकर्ता अपनी जान गवां चुके हैं।
24 सितंबर को आरबीआइ के प्रतिबंध लगे थे
मुंबई और दिल्ली में अधिकांश ब्रांचों वाले पीएमसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थॉमस ने 24 सितंबर को जमाकर्ताओं को एसएमएस भेजकर सूचना दी थी कि आरबीआइ ने बैंक के सामान्य कामकाज पर रोक लगा दी है। जमाकर्ता अगले छह महीने के दौरान सिर्फ 1000 रुपये निकाल सकेंगे। इसके बाद थॉमस के साथ हाउसिंग डेवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एचडीआइएल) के प्रमोटर राकेश और सारंग वधावन को गिरफ्तार कर लिया गया।
लाखों-करोड़ों जमा करने वाले गंभीर समस्या में
जमाकर्ताओं के विरोध के बाद आरबीआइ ने बैंक से धन निकासी की सीमा बढ़ाकर पहले 10,000 रुपये की और बाद में इसे बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दी। लेकिन जिन जमाकर्ताओं के बैंक में लाखों और करोड़ों रुपये जमा हैं तो यह रकम भी मामूली है और इससे उनके खर्चें पूरे नहीं हो सकते हैं। रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी 71 वर्षीय टेक चंद जो पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी निवासी हैं, ने कहा कि उनके परिवार ने तिलकनगर ब्रांच में 18 लाख रुपये जमा कराए थे। उनकी पत्नी डायलेसिस पर हैं। इस पर 10,000 रुपये महीने खर्च आता है। उनकी आधी पेंशन इसी पर खर्च हो जाती है। इस तरह के अनगिनत टेक चंद परेशान घूम रहे हैं और उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।
जमाकर्ता का गुस्सा- ऐसे संकट के लिए नहीं जिताया सरकार को
दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर की रहने वाली 61 वर्षीय अनुराधा सेन ने बैंक में 15 लाख रुपये जमा कराए थे। वह कहती हैं कि उनका जीवन यापन इस जमाराशि के ब्याज से ही होता है। उन्हें सरकार से शिकायत है कि जमाकर्ताओं की मदद के लिए वह पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। वह नाराज हैं कि इस तरह का संकट झेलने के लिए सरकार को जोरदार बहुमत देकर नहीं जिताया था। अगर यह संकट नहीं सुलझा तो वह अगले चुनाव में इस सरकार को वोट नहीं देंगी।