मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत के बैंकिंग सिस्टम का आउटलुक स्थिर से घटाकर निगेटिव कर दिया है। मूडीज को अंदेशा है कि कोरोनावायरस के संकट के चलते जो आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं उनसे बैंकों की ऐसेट क्वालिटी खराब होगी, यानी उनके गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बढ़ोतरी होगी। मूडीज भारत के 16 वाणिज्यिक बैंकों की रेटिंग करता है। भारतीय बैंकिंग सिस्टम में इन बैंकों की करीब 75 फ़ीसदी हिस्सेदारी है।
आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से हर सेगमेंट प्रभावित
गुरुवार को जारी मूडीज के बयान में कहा गया है कि बड़ी, छोटी और मझोली कंपनियों और रिटेल सेगमेंट तीनों में बैंकों की ऐसेट क्वालिटी खराब होने का अंदेशा है। इससे बैंकों के मुनाफे और उनकी पूंजी पर दबाव पड़ेगा। कोरोनावायरस संकट के चलते आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं उससे भारत की विकास दर में काफी गिरावट आ सकती है। इसलिए हमने भारत के बैंकिंग सिस्टम का आउटलुक स्थिर से बदल कर निगेटिव किया है।
बेरोजगारी बढ़ेगी, लोगों के लिए कर्ज लौटाना मुश्किल होगा
मूडीज के अनुसार आर्थिक गतिविधियों में कमी आने से बेरोजगारी बढ़ेगी और इससे आम लोगों के साथ-साथ कॉरपोरेट जगत की वित्तीय स्थिति खराब होगी। इसका असर इनके कर्ज की देनदारी पर पड़ेगा। गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की स्थिति पहले ही कमजोर है। बैंकों ने इन्हें काफी कर्ज दे रखा है। इसलिए इस मोर्चे पर भी बैंकों की एसेट क्वालिटी पर असर पड़ने की आशंका है। इससे वाणिज्यिक बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ेगा, उनके कर्ज देने की क्षमता घटेगी और कैपिटलाइजेशन की जरूरतें बढ़ेंगी। अगर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालती है, जैसा कि उसने पहले किया है, तो बैंकों पर पूंजी की जरूरत का दबाव थोड़ा कम होगा। यस बैंक का नाम लिए बिना इसने कहा है कि निजी क्षेत्र के एक बैंक के डिफॉल्ट करने से छोटे और निजी क्षेत्र के बैंकों के सामने फंडिंग और लिक्विडिटी की समस्या आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस के चलते भारत में अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार सुस्त पड़ेगी। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भी खराब हो रही हैं और भारत सरकार ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है। इसका असर घरेलू मांग और निजी निवेश पर पड़ेगा।