देश में कोरोना पॉजिटिव बैंक कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी तक 300 से ज्यादा कर्मचारी सक्रमित हो चुके हैं और 30 कर्मचारियों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है। वॉयस ऑफ बैंकिंग के सचिव अश्विनी राणा ने मांग की है कि बैंक कर्मचारियों को कोरोना वारियर्स के रूप में माना जाना चाहिए और अन्य कोरोना वारियर्स की तरह बैंकों को उन्हें 50 लाख बीमा कवर प्रदान करना चाहिए।
राणा का कहना है कि देश कोविड-19 प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ, बैंक कर्मचारी भी आवश्यक परिस्थितियों को बनाए रखने के लिए अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं और जरूरतमंद व्यक्तियों को सरकार की वित्तीय सहायता भेजने में मदद कर रहे हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के पेंशनभोगी और ऋण लेने वाले शामिल हैं। इस दौरान बैंक कर्मचारियों के दूरी बनाने के बाद भी ग्राहकों के निकट संपर्क में रहते हैं।
मृतकों के परिजनों को मिले मुआवजा और आश्रितों को नौकरी
उनका कहना है कि मौजूदा परिदृश्य में, लोगों की सेवा करने वाले बैंक कर्मचारी कोरोना वायरस के प्रसार के कारण गंभीर चुनौतियों और जोखिमों का सामना कर रहे हैं। इस दौरान, 30 से अधिक बैंक कर्मचारियों को कोविड-19 के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इन कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को आर्थिक मदद के साथ मुआवजा दिया जाना चाहिए और उनके आश्रितों को नौकरी दी जानी चाहिए।
लॉकडाउन की अवधि में दिशा निर्देशों का किया उल्लंघन
उन्होंने कहा कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की सभी बैंकों को सलाह के अनुसार, सभी पीएसबी को गर्भवती कर्मचारियों, विकलांग कर्मचारियों, होम क्वारेंटाइन/आइसोलेशन के तहत कर्मचारियों सहित उच्च जोखिम वाले कर्मचारियों के लिए लॉक डाउन अवधि के दौरान छूट के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे और उनको विशेष अवकाश बिना वेतन की कटौती के देने के निर्देश भी दिए थे, बावजदू इसके दिशानिर्देशों को दरकिनार कर कई स्थानीय बैंक प्रबंधन अधिकारियों ने इन कर्मचारियों को शाखाओं में जाने के लिए मजबूर किया। लॉक डाउन अवधि के दौरान कई बैंकों द्वारा बड़ी संख्या में अंतरराज्यीय स्थानांतरण आदेश जारी किए गए हैं, जिन्हें रद्द किया जाना चाहिए।