केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार जल्दी ही नई सहकारिता नीति लेकर आएगी। सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। शाह इस साल जुलाई में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद पहली बार आयोजित सहकारिता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहकारिता की अहम भूमिका होगी। देश में अभी करीब 65,000 प्राथमिक कृषि सहकारिता सोसायटी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इनकी संख्या बढ़ाकर तीन लाख की जाएगी। इसके अलावा कोऑपरेटिव कॉमन सर्विस सेंटर, नेशनल डेटाबेस और राष्ट्रीय सहकारिता विश्वविद्यालय की भी स्थापना की जाएगी।
शाह ने कहा कि 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहकारिता नीति लेकर आए थे, अब मोदी सरकार नई नीति लेकर आएगी। उन्होंने बताया कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्ट में संशोधन के साथ प्राथमिक कृषि सहकारिता सोसायटी (पीएसी) का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इनके एकाउंटिंग सिस्टम को जिला सहकारी बैंक और नाबार्ड से जोड़ने के लिए स्थानीय भाषाओं में सॉफ्टवेयर विकसित किया जाएगा।
अभी देश में हर 10 गांवों पर एक पीएसी है। शाह ने कहा कि सरकार पीएसी को फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) के तर्ज पर बनाने पर काम कर रही है। सहकारिता में टैक्स को लेकर आने वाली समस्याओं के सवाल पर उन्होंने आश्वासन दिया कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनेक देशों में सहकारिता का वजूद कानून के जरिए आया, लेकिन भारत में यह संस्कृति का हिस्सा है। यहां इफको, अमूल, लिज्जत पापड़ और कृभको जैसे सहकारी संगठनों ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। अब भी बीज और फूड प्रोसेसिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में सहकारिता की क्षमता का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर को प्राथमिकता में रखने का समय आ गया है।