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लॉक डाउन से पेट्रोल की बिक्री 17%, डीजल की 26% घटी, विश्व बाजार में क्रूड दो दशक के निचले स्तर पर

कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन से मार्च में पेट्रोल की बिक्री 17.6 फ़ीसदी और डीजल की 26 फ़ीसदी घट गई। घरेलू...
लॉक डाउन से पेट्रोल की बिक्री 17%, डीजल की 26% घटी, विश्व बाजार में क्रूड दो दशक के निचले स्तर पर

कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन से मार्च में पेट्रोल की बिक्री 17.6 फ़ीसदी और डीजल की 26 फ़ीसदी घट गई। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी बंद हैं इसलिए विमान गइंधन एटीएफ की बिक्री में भी 31.6 फ़ीसदी की गिरावट आई है। एकमात्र ईंधन जिसकी बिक्री बढ़ी है वह है रसोई गैस। इसमें 3.1 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लॉक डाउन अप्रैल के मध्य तक रहेगा इसलिए इस महीने मार्च से भी ज्यादा गिरावट के आसार हैं।

सोमवार को 12 फ़ीसदी घट गई ब्रेंट क्रूड की कीमत

यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरे विश्व की है। दुनिया के लगभग सभी देश कोरोनावायरस वायरस की चपेट में आ गए हैं और दुनिया की आधी आबादी लॉक डाउन के चलते अपने घरों में बंद है। इस वजह से विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम कई साल के निचले स्तर पर चल रहे हैं। सोमवार को भी ब्रेंट क्रूड के दाम में 4.3 फ़ीसदी की गिरावट आई और एक बैरल क्रूड की कीमत 32.64 डॉलर रह गई। सोमवार सुबह गिरावट 12 फ़ीसदी तक पहुंच गई थी।

रूस और सऊदी अरब के झगड़े से भी कच्चे तेल के दाम गिरे

कच्चे तेल के दाम में गिरावट की दूसरी प्रमुख वजह है रूस और सऊदी अरब के बीच टकराव। रूस दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है और सऊदी अरब इसका सबसे बड़ा निर्यातक। उत्पादन में कटौती को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है। सोमवार को इनके बीच बैठक होनी थी जो टल गई। इसी के बाद दाम में एक बार फिर गिरावट का दौर शुरू हो गया। अब यह बैठक गुरुवार को होगी पिछले महीने भी दोनों देशों के बीच उत्पादन घटाने को लेकर बैठक हुई थी लेकिन उसमें कोई सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद दोनों देशों ने उत्पादन बढ़ाना जारी रखा जिससे दाम में गिरावट आई।

सुलह की उम्मीद से 2 अप्रैल को दाम रिकॉर्ड 20 फ़ीसदी बढ़े थे

इन दोनों वजहों से विश्व बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम 18 साल के निचले स्तर पर पहुंच गए थे। इसकी कीमत 23 डॉलर प्रति बैरल रह गई थी। पिछले हफ्ते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि रूस और सऊदी अरब विवाद खत्म करके उत्पादन घटाने पर विचार करेंगे। उन्होंने ट्वीट किया था कि कच्चे तेल के उत्पादन में एक करोड़ बैरल या इससे अधिक की कटौती पर सहमति बन सकती है। इसके बाद क्रूड के दाम में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली थी। 2 अप्रैल को तो दाम 20 फ़ीसदी बढ़ गए थे जो अब तक का रिकॉर्ड है। हाल के दिनों में अमेरिका ने भी कच्चे तेल का निर्यात शुरू किया है लेकिन मार्च तिमाही में अमेरिका में उत्पादित तेल की कीमत करीब दो तिहाई गिर गई। इसीलिए अमेरिका, रूस और सऊदी अरब के बीच समझौता कराने की कोशिश कर रहा है।

क्रूड की दैनिक डिमांड दो करोड़ बैरल घटने के आसार

इंडस्ट्री के लिहाज से देखा जाए तो 2020 के पहले 3 महीने बेहद खराब गुजरे हैं। विश्व अर्थव्यवस्था में कमजोरी के कारण पहले ही डिमांड कम चल रही थी। अब कोरोनावायरस के चलते इसमें और गिरावट आ गई है। माना जा रहा है कि कच्चे तेल की दैनिक डिमांड 2 करोड़ बैरल कम हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौजूदा हालात कई महीने तक बनी रही तो अमेरिकी शैल आयल इंडस्ट्री और कनाडा के तेल एवं गैस सेक्टर में कई कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं।

दाम बढ़ाने के लिए अब अमेरिका और यूरोपीय देश घटा सकते हैं उत्पादन

उत्पादन घटाने के लिए अमेरिका और दूसरे देश नए प्रयासों में भी जुट गए हैं ताकि उनकी कंपनियों को दिवालिया होने से बचाया जा सके। कनाडा और नॉर्वे फिलहाल कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी कटौती के लिए राजी हो गए हैं। अमेरिका भी अपने यहां उत्पादन घटा सकता है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और रूस पर दबाव डालने के लिए अमेरिका कच्चे तेल के आयात पर शुल्क लगाने पर भी विचार कर रहा है।

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