भारतीय रिजर्व बैंक संकट में फंसी डीएचएफएल की दिवालिया प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए फास्ट ट्रैक मोड में काम कर रहा है। इस वित्तीय कंपनी के निदेशक बोर्ड को हटाकर प्रशासक बिठाने के बाद आरबीआइ ने तीन सदस्यों की सलाहकार समिति का गठन किया है। यह समिति प्रशासन को करीब 84,000 करोड़ रुपये वसूलने के लिए सुझाव देगी। डीएचएफएल ने यह पैसा सिस्टम से उठाया और निवेश किया है।
समिति में इन विशेषज्ञों को स्थान
इस समिति में एक वरिष्ठ बैंकर और बड़ी इंश्योरेंस कंपनी के प्रमुख को शामिल किया गया है। समिति में असेट मैनेजर्स के संगठन को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। आरबीआइ ने इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व एमडी आर. सुब्रमण्यम कुमार को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया था। उनकी मदद के लिए बनाई गई सलाहकार समिति में आइडीएफसी फर्स्ट बैंक के गैर कार्यकारी चेयरमैन राजीव लाल, आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के चीफ एक्जीक्यूटिव एन. एस. कानन और म्यूचुअल फंड्स की बॉडी एम्फी के चीफ एक्जीक्यूटिव एन. एस. वेंकटेश को शामिल किया गया है।
आइबीसी में बदलाव के बाद आरबीआइ की पहल
आरबीआइ ने बुधवार को डीएचएफएल के बोर्ड को भंग करके प्रशासक नियुक्त किया था। हाल में इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड में बदलाव से मिले अधिकारों के तहत आरबीआइ ने यह कदम उठया। आरबीआइ ने एक बयान जारी करके कहा कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी (इंसॉल्वेंसी एंड लिक्विडेशन प्रॉसीडिंग्स ऑफ फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स एंड एप्लीकेंशन टू एडजूडिकेटिंग अथॉरिटी) रूल्स 2019 में प्रशासक को सलाह देने के लिए इस तरह की समिति गठित करने की व्यवस्था है। यह समिति फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर के कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस के दौरान कामकाज में प्रशासक को सहायता देगी।
आरबीआइ को मिले ये अधिकार
मुंबई की डीएचएफएल पहली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है जिसका बैंक्रप्सी रिजोल्यूशन किया जा रहा है। पिछले सप्ताह सरकार ने आइबीसी के सेक्शन 227 की अधिसूचना जारी करके आरबीआइ को एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों जैसी वित्तीय कंपनियों के लिए दिवालिया प्रक्रिया चलाने के लिए आरबीआइ को अधिकृत किया था। इस बदलाव से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा असेट वाली वित्तीय कंपनियों पर दिवालिया प्रक्रिया चलाई जा सकती है। हालांकि बैंकों को इस दायरे से बाहर रखा गया है।
डीएचएफएल को एनपीए में डाल रहे बैंक
इस साल जुलाई तक डीएचएफएल पर बैंकों, नेशनल हाउसिंग बोर्ड, म्यूचुअल फंडों और बांडधारकों के 83,873 करोड़ रुपये बाकी थे। इसमें से 74,054 सिक्योर्ड और 9818 करोड़ रुपये अनसिक्योर्ड लोन था। अधिकांश बैंक डीएचएफएल के खातों को तीसरी तिमाही में एनपीए में डाल दिया है क्योंकि वह समय पर भुगतान करने में बार-बार नाकाम हुई है।