अक्टूबर में बेरोजगारी दर 8.5 फीसदी दर्ज हुई, जो अगस्त 2016 के बाद सबसे ज्यादा है। सितंबर में यह आंकड़ा 7.2 फीसदी था। ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने जारी किए हैं। यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मंदी के प्रभाव को दर्शाता है। बता दें कि केंद्र बेरोजगारी दर ज्यादा होने की बात को लगातार नकारती रही है, लेकिन एक के बाद एक सामने आ रहे आंकड़ों में बेरोजगारी की समस्या और सच्चाई साफ नजर आ रही है।
सीएसओ ने 6.1 फीसदी बताई थी बेरोजगारी दर
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के बेरोजगारी के आंकड़े लीक हुए थे। उसमें बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी बताई गई थी जो 45 साल में सबसे ज्यादा थी। तब सरकार ने इसका खंडन किया था। लेकिन मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के अगले ही दिन, 31 मई 2019 को सीएसओ ने वही आंकड़े जारी किए थे। सीएसओ के आंकड़ों में बताया गया था कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है। पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2 फीसदी, जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है।
सरकार के बचाव में आए थे मुख्य सांख्यिकीविद
हालांकि इस दौरान मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने रोजगार के मुद्दे पर घिरी सरकार का बचाव भी किया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि रोजगार के इस नए सर्वेक्षण की पिछले आंकड़े से तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था कि इस सर्वेक्षण में मापने के तौर-तरीके पुराने सर्वेक्षण से अलग हैं। इसकी पिछले आंकड़ों से तुलना ठीक नहीं। श्रीवास्तव ने कहा था कि वह यह दावा नहीं करना चाहते कि आंकड़ा 45 साल का न्यूनतम या अधिकतम है।
सही साबित हुआ था विपक्ष का दावा
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने 45 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी दर को मुद्दा बना सरकार पर लगातार हमले भी किए थे। बेरोजगारी को लेकर लीक रिपोर्ट के आधार पर हमलावर विपक्ष के दावों को सरकार हवा-हवाई बताती रही थी। हालांकि चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद जब सीएसओ के आंकड़े सामने आए तो इससे विपक्ष के दावे सही साबित हुए। बता दें कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से उद्योग और व्यापार पर विपरीत असर पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार गंवाना पड़ा।