भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि वह गंभीर आर्थिक अपराधों के संदिग्धों के कॉल्स और संदेशों तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार को पकड़ने के अधिकार के लिए सरकार से संपर्क करेगा। नियामक ने कहा कि इससे उसकी सबूत जुटाने का तंत्र बेहतर हो सकेगा।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पूर्व विधि सचिव और लोकसभा के पूर्व महासचिव टी के विश्वनाथन की अगुवाई वाली समिति ने पिछले महीने सुझाव दिया था कि सेबी को कॉल्स और संदेशों को पकड़ने के लिए सीधे अधिकार की मांग करनी चाहिए।
सार्वजनिक विचार विमर्श की प्रक्रिया के लिए इस सुझाव को डालने के बाद सेबी ने अपने निदेशक मंडल की बैठक में इस पर विचार विमर्श किया।
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बोर्ड की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सेबी को टेलीग्राफ कानून के तहत कॉल्स और इलेक्ट्रॉनिक संचार को पकड़ने के अधिकार की सिफारिशों पर यह फैसला किया गया है कि इसे सरकार पर भेजा जाए।’’
अभी तक नियामक को अपनी जांच के लिए कॉल डाटा रिकॉर्ड मांगने पर आधारित है। लेकिन समिति का मानना है कि नियामक को अपने नियामकीय दायित्वों के लिए और अधिक अधिकारों की जरूरत है।
‘जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाले, भगोड़े आर्थिक अपराधी समाधान व्यवस्था के पात्र नहीं’
बाजार नियामक सेबी ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों, भगोड़ा आर्थिक अपराधियों के साथ-साथ बाजार में व्यापक प्रभाव वाले लोन चूक करने वाली इकाइयों को सेबी की निपटान व्यवस्था से प्रतिबंधित कर दिया है। सेबी निपटान के लिए वैसे किसी आवेदन पर विचार नहीं करेगा जिसे उसी कथित चूक को लेकर पूर्व में खारिज कर दिया गया था।
सेबी निदेशक मंडल ने बैठक में निपटान व्यवस्था में बदलाव को मंजूरी दे दी। यह रिटायर्ट जज ए आर दवे की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है। समिति ने सेबी में मौजूदा निपटान प्रणाली की समीक्षा की। सेबी (निपटान कार्यवाही) नियमन, 2018 में आदेश के जरिए निपटान कार्यवाही का प्रावधान है। इसमें मौद्रिक के साथ-साथ गैर-मौद्रिक शर्तें शामिल हो सकती हैं।
नियामक के मुताबिक, अगर कथित चूक का बाजार पर व्यापक प्रभाव है, निवेशकों को नुकसान हुआ है या बाजार प्रभावित हुआ है तो उसका निपटान निर्धारित प्रक्रिया के तहत नहीं होगा। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले, भगोड़ा आर्थिक अपराधी तथा जिन्होंने प्रतिभूति कानून के उल्लंघन को लेकर किसी प्रकार का बकाया शुल्क या जुर्माने का भुगतान नहीं किया है, उनके आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। सेबी की विज्ञप्ति के अनुसार, नियामक एक ही चूक मामलों में उन आवेदनों पर विचार नहीं करेगा जिनके आग्रह को पूर्व खारिज कर दिया गया था।