इस साल इस मद में राज्यों के हिस्से में करीब 60,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा तेल उत्पादों पर एकत्र किए गए बढ़े हुए उत्पाद शुल्क में से वर्ष 2015 से 2020 के दौरान 42 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों को दी जाएगी।
चूंकि केंद्र सरकार कच्चे तेल के दामों में गिरावट के बीच वर्ष 2014 के मध्य से पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में लगातार बढ़ोतरी करती आ रही है जिससे इस मद में राजस्व में सबसे तेज उछाल आया है। कुल उत्पाद शुल्क संग्रह में पिछले साल पेट्रोलियम क्षेत्र का योगदान 63 प्रतिशत रहा। इससे पिछले साल यह हिस्सा 46 प्रतिशत था। इस साल यह 60,000 करोड़ रुपए उछल कर 1,78,600 करोड़ रपए तक पहुंचने का अनुमान है। इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार इसके 42 प्रतिशत के तौर पर राज्यों को 22,000 से 24,000 करोड़ रुपये की आय का अतिरिक्त लाभ होगा।
भाषा