टेलीकॉम कंपनियों ने 2018 में इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज आईयूसी के तौर पर 11,838 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसमें सबसे ज्यादा वोडाफोन ने 4,214 करोड़ रुपये दिये। इसके बाद एयरटेल ने 3,411 करोड़ और रिलायंस जियो ने 2,809 करोड़ रुपये का भुगतान किया। सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने 1,405 करोड़ रुपये का आइयूसी दिया है। मार्केट रिसर्च फर्म टेकआर्क ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की सितंबर की सालाना रिपोर्ट के आधार पर टेकआर्क ने यह रिपोर्ट बनाई है।
जियो ने बुधवार को थी वॉयस कॉल के पैसे लेने की घोषणा
आईयूसी का मसला एक बार फिर इसलिए चर्चा में है क्योंकि रिलायंस जियो ने बुधवार को घोषणा की कि जियो से दूसरी कंपनियों के नेटवर्क पर कॉल करने वालों से वह प्रति मिनट 6 पैसे शुल्क लेगी। दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर कॉल के बदले आईयूसी देना पड़ता है। ट्राई ने इसे 6 पैसे प्रति मिनट तय कर रखा है।
कॉलिंग के लिए टॉप अप वाउचर लेना पड़ेगा
जियो ने गुरुवार से वॉयस कॉल के लिए पैसे वसूलने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए इसने टॉप-अप वाउचर लांच किए हैं। 10 रुपये के वाउचर में नॉन-जियो मोबाइल पर 124 मिनट बात की जा सकेगी। इसके साथ एक जीबी डाटा फ्री मिलेगा। इसी तरह 20 रुपये के वाउचर पर 249 मिनट कॉलिंग और 2 जीबी डाटा, 50 रुपये के वाउचर पर 656 मिनट कॉलिंग और 5 जीबी डाटा और 100 रुपये के वाउचर पर 1,362 मिनट कॉलिंग और 10 जीबी डाटा मिलेगा।
कॉलिंग के पैसे लेने पर जियो की आलोचना
जियो के इस फैसले की जहां सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हो रही है, वहीं वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल जियो के ग्राहकों को लुभा रही हैं। वोडाफोन ने कहा है कि वह दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के पैसे नहीं लेकर ग्राहकों का बोझ नहीं बढ़ाना चाहती। एसबीआई कैप सिक्युरिटीज के रिसर्च हेड राजीव शर्मा का कहना है कि जियो के बाद एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया भी रेट बढ़ा सकती हैं। इससे अंततः मुफ्त में वॉयस कॉल की सुविधा पूरी तरह खत्म हो सकती है।