भारत में कई जानी-मानी आईटी कंपनियां इन दिनों सबसे बड़ी छंटनी के दौर से गुजर रही हैं। अंग्रेजी अखबार मिंट ने इन्फोसिस, विप्रो सहित शीर्ष 7 आईटी कंपनियों के लोगों से बातचीत के आधार पर खबर छापी थी कि इन कंपनियाेें नेे 56,000 इंजीनियरों को नौकरी से हटाने की तैयारी कर ली है। अब मानव संसाधन क्षेत्र की कंपनी हेड हंटर्स इंडिया ने कहा है कि आईटी क्षेत्र में अगले तीन साल के दौरान हर साल 1.75 से 2 लाख नौकरियां जा सकती हैें।
हेड हंटर्स इंडिया के संस्थापक और सीएमडी के. लक्ष्मीकांत ने पीटीआई को बताया कि मीडिया में इस साल 56 हजार आईटी पेशेवरों की नौकरी जाने की खबरें आ रही है, जबकि वास्तव में अगलेत तीन साल तक हर साल 1.75 से दो लाख छंटनियां हो सकती हैं। यह बात उन्होंने गत 17 फरवरी को नैसकॉम लीडरशिप फाेेरम मेंं पेश मैकेन्जी एंड कंपनी की रिपोर्ट के आधार पर कही है। इस रिपोर्ट में मैकेन्जी एंड कंपनी ने कहा था कि अगले तीन-चार वर्षों में आईटी कंपनियों की तकरीबन आधेे कर्मचारी किसी काम के नहीं रहेंगे। तकनीक में तेजी से आ रहे बदलाव इसका प्रमुख कारण हैैं।
जानकारों का मानना है कि जिन लोगों की नौकरी खतरे में है, उनमें 35 साल से ज्यादा उम्र के प्रोफेशनल्स सबसे ज्यादा हैं। इन लोगों के लिए बदलती तकनीक और कंपनी की जरूरतों के हिसाब से खुद का ढालना अपेक्षाकृत मुश्किल हाेेता है। बड़ी तादाद में कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन मूल्यांकन के आधार पर नौकरियों से निकाला जा रहा है। ग्लाेेेबल हंट के एमडी सुनील गोयल का मानना है कि हर 3-5 साल के बाद इस तरह स्थिति आती है लेकिन इस बार असर ज्यादा है क्योंकि अमेरिका ने विदेशी कर्मचारियों से जुड़ी नीतियां बदल दी हैं। गोयल का मानना हैै कि छंटनी का यह दौर 1-2 साल तक जारी रह सकता है।
कौन-कौन सी कंपनी कर रही है छंटनी
जिन कंपनियों में छंटनी की खबरेंं आ रही हैैं उनमें इन्फोसिस लिमिटेड, विप्रो लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और कॉग्निजेंट जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां कुल मिलाकर 12 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती हैं। अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन के अनुसार, इंफोसिस मैनेजर, प्रोजेक्टर मैनजर स्तर के 3,500 लोगों को निकाल सकती है। वहीं, टेक महिंद्रा लिमिटेड द्वारा 7,000 से 8,000 इंजीनियरों को बाहर निकालने की योजना बनाई जा रही है। बताया जाता है कि टेक महिंन्द्रा में पहली बार इतनी छंटनियां होने जा रही हैं।
रोबोट और डिजिटलाइजेशन खा रहे हैं नौकरियां
कई कंपनियां तेज़ी से आटोमेशन की तरफ बढ़ रही है, जिसकी वजह से कर्मचारी हटाए जा सकते हैं। जैसे-जैसे आईटी कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस जैसी नई तकनीक पर काम करना शुरू कर रही हैं, उन्हें कम कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ रही है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में रोबाेेेट के बदलते इस्तेमाल की वजह से नौकरियां खत्म हो रही हैैं। सबसे ज्यादा छंटनी मैनुुुअल टेेेेस्टिंग, टेक्नीकल सपाेर्ट और सिस्टम एडमिस्ट्रेेेेशन जैसे कामाेें में हो रही हैैं।
डोनल्ड ट्रंप की नीतियां कितनी जिम्मेदार?
भारत में आईटी क्षेत्र की नौकरियां जाने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की आउटसोर्सिंंग विरोध नीतियां को भी वजह माना जा रहा हैैै। इस बारे में हेड हंटर्स के लक्ष्मीकांत का कहना है कि हम ट्रंप को दोष नहीं दे सकते, वे तो सिर्फ अपना चुनावी वादा निभा रहे हैं।
गौरतलब है कि अमेरिका में एच1-बी वीजा नियमों को सख्त बनाकर स्थानीय लोगों की नौकरी के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। इन नियमाेें में मिली छूट का फायदा उठाकर कई कंपनियांं विदेशी कर्मचारियों से कम वेतन पर काम करा लेती थीं। अमेरिका के वीजा नियमाेें में सख्ती के बाद भारतीय इंजीनियरों के लिए अमेरिका कर राह मुश्किल हो जाएगी।
आईटी क्षेत्र की ग्रोथ रेट में गिरावट
लगभग 150 अरब डॉलर के आईटी उद्योग के ग्रोथ में इन दिनों गिरावट देखी जा रही है। पहले आईटी उद्योग में 35 से 40 फीसदी की सालाना वृद्धि देखी जाती थी। इन दिनों आईटी उद्योग मात्र छह से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।