कोविड-19 महामारी के कारण बीमा क्लेम की संख्या भी काफी बढ़ गई है। दिल्ली हाई कोर्ट और बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के बावजूद बड़ी संख्या में बीमा क्लेम लंबित पड़े हैं। हाई कोर्ट और इरडा ने कोविड-19 का सेटलमेंट मरीज के डिस्चार्ज होने के एक घंटे के भीतर करने का निर्देश दे रखा है। इसके बावजूद 10,700 करोड़ रुपए के तीन लाख से अधिक क्लेम सेटलमेंट का इंतजार कर रहे हैं।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष से लेकर इस वर्ष 6 अगस्त तक 29,341 करोड़ रुपए के 23 लाख क्लेम के आवेदन प्राप्त हुए। अभी तक बीमा कंपनियों ने 17,813 करोड़ रुपए के करीब 19 लाख क्लेम का सेटलमेंट किया है। आधे से ज्यादा क्लेम कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किए गए। एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष 1 अप्रैल से 6 अगस्त के दौरान 14,783 करोड़ रुपए के 13.19 लाख क्लेम किए गए। पिछले पूरे वित्त वर्ष में 14,560 करोड़ रुपए के 9.86 लाख क्लेम किए गए थे।
बीमा कंपनियों के अनुसार, कोरोना महामारी आने के बाद क्लेम संख्या काफी बढ़ गई है। औसत क्लेम की तुलना में कोविड-19 मरीजों का क्लेम लगभग दोगुनी रकम का होता है। इस वजह से कुछ बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य बीमा की नई पॉलिसी देना कुछ समय के लिए बंद कर दिया तो कुछ कंपनियां नए आवेदन की प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लगा रही हैं।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल बीमा कंपनियों की संस्था है। 34 साधारण बीमा कंपनियां इसकी सदस्य हैं। हाई कोर्ट और इरडा के जल्दी क्लेम निपटाने के निर्देशों के बाद काउंसिल ने अस्पतालों से क्लेम से संबंधित कागजात जल्दी देने का आग्रह किया था। इसने कहा था कि मरीज के डिस्चार्ज होते समय सभी डॉक्यूमेंट एक साथ उपलब्ध करा दिए जाएं ताकि बीमा कंपनियों को बाद में कोई और कागजात मांगने की जरूरत ना पड़े। इसने संबंधित कागजात की एक सूची भी अस्पतालों को दी।
काउंसिल के अनुसार अगर मरीज की स्थिति ठीक हो रही हो, तो उसे जिस दिन डिस्चार्ज करने का अनुमान हो उससे एक दिन पहले बीमा कंपनी या थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) को संबंधित कागजात और बिल आदि के बारे में जानकारी दे दी जानी चाहिए। इसके बाद अगले 24 घंटे के दौरान जो भी नया बिल बनेगा या नए कागजात होंगे, उसे मरीज को डिस्चार्ज करते समय दे दिया जाना चाहिए। इससे सेटलमेंट जल्दी करने में आसानी होगी।