विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि भारत का जीडीपी ग्रोथ अगले वित्त वर्ष में 7.3 फीसदी पहुंच जाएगा। इसके वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 7.5 पहुंचने की भी उम्मीद लगाई गई है। विश्व बैंके के द्विवार्षिक रिपोर्ट इंडिया डेवलपमेंट अपडेटः इंडियाज ग्रोथ स्टोरी में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट को 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्तीय वर्ष में 6.7 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेडिट, निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने और सुधार जारी रखने के लिए आठ फीसदी से ज्यादा ग्रोथ रेट की जरूरत होगी। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव से उबर सकती है और ग्रोथ रेट धीरे-धीरे 7.5 फीसदी पहुंच सकता है।
नवंबर 2016 में सरकार ने काला धन पर रोक लगाने के लिए 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके बाद सबसे बड़ा अपरोक्ष टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया था। इन दोनों की वजह से थोड़े समय के लिए देश की आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था।
भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जून की तिमाही में गिरकर तीन साल के निचले स्तर पर 5.7 फीसदी पहुंच गई थी। बाद की तिमाहियों में इसने वापसी की।
सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) की ओर से जारी द्वितीय अनुमान के अनुसार 31 मार्च को खत्म होने वाले चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.6 फीसदी रह सकती है। पहले यह अनुमान 6.5 फीसदी था। 2016-17 में 7.1 फीसदी थी।
संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे में 2018-19 में ग्रोथ रेट 7 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ल्ड बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि ग्रोथ रेट में तेजी वैश्विक अर्थव्यवस्था साथ तालमेल बनाए रखने के लिए जरूरी होगी। रिपोर्ट का कहना है कि ग्रोथ अधिक समावेशी और भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के लिए प्रभावी होनी चाहिए।