कभी यस बैंक तो कभी पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) और अब लक्ष्मी विलास बैंक के लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं जब बैंकों में आपका पैसा फंस रहा है और आप चाहकर भी अपनी गाढ़ी कमाई को निकाल नहीं सकते। ऐसे में सबके मन यह संदेह पैदा होता जा रहा है कि कहीं हमारा बैंक भी तो कहीं रेड जोन में नहीं है, जिससे आने वाले दिनों में हमें अपना ही पैसा निकालने में कठिनाई का सामना करना पड़े।
आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर वो क्या संकेत हैं, जिससे आप पहले से समझ सकते हैं कि आपके बैंक के ऊपर खतरा मंडरा रहा है और समय रहते आप अपनी कमाई को निकाल लें-
एनपीए का बढ़ना
आरबीआई के मानकों के अनुसार, बैंक के रेड जोन में जाने का सबसे पहला संकेत हैं, जब बैंक का एनपीए कंट्रोल नहीं होता, तो इसका संकेत है कि आपका बैंक खतरे में है या परफॉर्म अच्छा नहीं कर रहा है। बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा दिये जा रहे लोन एनपीए में बदल गए हैं।
आरबीआई के किस कैटेगरी में पहुंचा बैंक
आरबीआई के नियम के अनुसार, जब बैंक इस तरह के किसी खतरे में पड़ता है तो आरबीआई ने कई तरह की कैटेगरी बना के रखी है, जिससे वह कई फ्रेम वर्क में जाता है। इस कैटेगरी में डालने का मतलब होता है कि बैंक आरबीआई के निगरानी में है।
बैंक का कोई घोटाला सामने आना
यदि बैंक द्वारा किसी तरह के घोटाले का मामला सामने आने पर भी बैंक के खतरे में जाने का संकेत है। यानी बैंक ने किसी कॉर्पोरेट को ज्यादा पैसे दे दिए हैं यानी उसकी लिमिट से ज्यादा बैंक द्वारा पैसा दिया जाना। हर बैंक का अपना नियम होता है कि ग्राहक को लिमिट के आधार पर ही पैसा दिया जाए, अगर वह लिमिट से ऊपर उठकर किसी एक ही कॉर्पोरेट को कर्ज दे रहा है तो यह भी खतरे का संकेत है।
बैंक के बड़े कर्जदारों का धंधा चौपट होना
अगर बैंक के बड़े कर्जदारों का धंधा चौपट हो रहा है या उनका घाटा बढ़ रहा है तो इसका सीधा नुकसान बैंक को उठाना पड़ता है।
बैंक के शेयर कीमत का तेजी से गिरना
अगर बैंक के शेयर कीमत तेजी से गिर रहे हैं, तो इसका मतलब है निवेशकों का भरोसा खत्म हो गया है और वह अपने पैसे निकाल रहे हैं।
प्रमोटर्स पर लग रहे हों धोखाधड़ी का आरोप
बैंक में बहुत सारे लेनदेन से संबंधित यानी उनके प्रमोटर्स से संबंधित धोखाधड़ी के आरोप लग रहे हों। प्रमोटर्स में यदि कोई आपसी विवाद हो गया हो तो आप समझ जाइए कि आपका बैंक खतरे में है।