जीएसटी के मामले में विभिन्न निर्णय जीएसटी परिषद लेती है। केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री अथवा उनके प्रतिनिधि शामिल हैं। जीएसटी परिषद की आज हुई बैठक में चार स्तरीय दरों को अंतिम रूप दे दिया गया।
इसमें महंगाई को लेकर विशेष ध्यान दिया गया है। आम आदमी पर महंगाई का बोझ नहीं पड़े इसके लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में शामिल खाद्यान्न और दूसरी जरूरी वस्तुओं सहित करीब आधी वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा जबकि दूसरी सामान्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत की सबसे निम्न दर पर कर लगाया जायेगा। इसके अलावा 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें रखीं गई हैं।
जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में दरों पर निर्णय नहीं हो पाया था। आज 28 प्रतिशत की सबसे ऊंची दर के साथ ही अतिरिक्त उपकर लगाने पर भी सहमति बन गई। इससे कुल मिलाकर कर की दर मौजूदा दर के आसपास ही रहेगी। तंबाकू पर मौजूदा व्यवस्था में कुल मिलाकर 65 प्रतिशत कर लगता है। इसी प्रकार वातित पेय पदार्थों पर कुल 40 प्रतिशत कर लगता है। जीएसटी परिषद की आज से शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के पहले दिन की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सबसे ऊंची दर उन वस्तुओं पर लागू होगी जिन पर वर्तमान में 30 से 31 प्रतिशत तक कर लगता है। यानी जिन वस्तुओं पर वर्तमान में 12.5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क और 14.5 प्रतिशत की दर से वैट लगता है।
जेटली ने संवाददाताओं को बताया, .... आखिर में इस बात पर सहमति बनी है कि जिन वस्तुओं पर 30 से 31 प्रतिशत की ऊंची दर पर कर लगता है उन पर अब 28 प्रतिशत की दर से कर लगेगा, लेकिन इसमें एक शर्त होगी। शर्त यह है कि इस वर्ग में कई वस्तएं हैं जिनका बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करने लगे हैं, खासतौर से मध्यम वर्ग के लोग इनका उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में उनके लिये 28 अथवा 30 या 31 प्रतिशत की दर ऊंची होगी इसलिये हम इन्हें 18 प्रतिशत की दर में हस्तांतरित कर रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या आम आदमी पर कर बोझ कुछ कम होगा, जवाब में जेटली ने कहा, उम्मीद है कि ऐसा होगा। जेटली ने कहा कि कर की विभिन्न दरों के दायरे में आने वाली वस्तुओं की अंतिम सूची एक समिति तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि साबुन, तेल, शेविंग स्टिक, टूथपेस्ट जैसे उत्पादों को 18 प्रतिशत कर दायरे में रखा जायेगा।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा की नये कर ढांचे से मुद्रास्फीति कम रह सकती है और यह नीचे भी आ सकती है। ज्यादातर वस्तुओं के मामले में उन पर लगने वाली उत्पाद शुल्क दर जमा वैट दर को मिलाकर ही उनकी जीएसटी दर तय होगी। इसी से पता चलेगा कि उन्हें जीएसटी की किस दर में रखा जाये।
भाषा