साल 2014-15 में डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट जारी करते हुए आईडीएसए के अध्यक्ष रजत बैनर्जी ने कहा कि बीते वर्षों में डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में लगातार वृद्धि हुई है और अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डायरेक्ट सेलिंग उद्योग की वृद्धि से साबित होता है कि यह वितरण मॉडल ग्राहकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। आईडीएसए के कोषाध्यक्ष विवेक कटोच ने बताया कि नियंत्रक ढाँचे के अभाव में देश में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं जिससे डायरेक्ट विक्रेताओं के प्रति दृष्टिकोण प्रभावित हुआ है। इसलिए डायरेक्ट बिक्री की संख्या 2013-14 में 43,83,287 की तुलना में 2014-15 में 39,29,105 रह गयी। कटोच कहते हैं कि हम इसकी सफलता के प्रति बहुत आशान्वित हैं और उद्योग के विकास के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं।
इंटरनेशनल कंज्यूमर पॉलिसी एक्सपर्ट बिजोन मिश्रा के अनुसार, ग्राहक ही सर्वोपरि है और डायरेक्ट सेलिंग उनके लिए एक प्रमुख विकल्प है। डायरेक्ट सेलिंग बिक्री के लिए वितरण का एक व्यावहारिक माध्यम है। किन्तु हाल ही की ग्राहकों के साथ हुई धोखाधड़ी की कुछ घटनाओं को देखते हुए ग्राहकों के हितों की रक्षा भी आवश्यक है। इसके लिए इस उद्योग को समुचित मान्यता देने के साथ-साथ सुस्पष्ट नियामक भी लाने होंगे। अर्थशास्त्री डा. एस.पी शर्मा के मुताबिक डायरेक्ट सेलिंग एंटिटीज के विकास अनुमान के अनुसार, आने वाले समय में, मजबूत कानूनों, अर्थव्यवस्था में निवेश में सुधार और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में ग्राहकों के बढ़ते आधार के परिणामस्वरुप इस उद्योग का विकास दर दहाई अंकों में जाने की संभावना है।