जीएसटी के लागू होने पर केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाला मूल्य वर्धित कर :वैट: सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे।
जीएसटी परिषद पहले ही जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय कर चुकी है। लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों और तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं पर इसके उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जायेगा।
लोकसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को पेश किया जिसमें केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 :सी-जीएसटी बिल:, एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 :आई-जीएसटी बिल:, संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 :यूटी-जीएसटी बिल: और माल एवं सेवाकर :राज्यों को प्रतिकर: विधेयक 2017 शामिल हैं।
केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि मानव उपभोग के लिए एल्कोहल लिकर के प्रदाय को छोड़कर माल या सेवाओं या दोनों के सभी अंतरराज्यीय प्रदायों पर अधिसूचित की जाने वाली दर से कर लेना होगा जो सेवा कर परिषद द्वारा सिफारिश किये गए अनुसार 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
इलेक्टानिक वाणिज्य प्रचालकों पर, उनके पोर्टलों के माध्यम से माल या सेवाओं का प्रदाय करने वाले प्रदाताओं को किये जाने वाले संदायों में से, ऐसी दर पर, जो कराधेय प्रदायों के शुद्ध मूल्य के एक प्रतिशत से अधिक नहीं होगी, साथ ही स्रोत पर कर की कटौती करने की आध्यता अधिरोपित करने का उपबंध भी करता है।
यह पंजीकृत व्यक्ति द्वारा संदेय करों के स्वनिर्धारण के लिए उपबंध करना और कर के उपबंध के अनुपालन का सत्यापन करने के लिए पंजीकृत व्यक्तियों की संपरीक्षा का संचालन करने का उपबंध करता है।
इसमें कराधेय व्यक्ति के माल को निरूद्ध या उनका विक्रय करने, उनकी स्थावर सम्पत्ति को निरूद्ध करने सहित विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करते हुए कर के बकाये की वसूली का उपबंध किया गया है।
विधेयक में अधिकारियों को निरीक्षण, तलाशी, अभिग्रहण के अलावा गिरफ्तारी की शक्तियों का भी उपबंध किया गया है।
अपील प्राधिकरण या पुनरीक्षण प्राधिकरण द्वारा पारित आदेशों के विरूद्ध अपीलों की सुनवाई करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा माल और सेवा की अपील अधिकरण की स्थापना और प्रस्तावित विधान के उपबंधों के उल्लंघन हेतु शास्तियों के लिए उपबंध करने की बात कही गई है। इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए कि कारोबार, माल या सेवाओं या दोनों की कमी के फायदों को उपभोक्ताओं तक आगे पहुंचाने के संबंध में प्रति मुनाफाखोरी खंड के लिए उपबंध करने का प्रावधान है। साथ ही विद्यमान करदाताओं को सुचारू रूप से माल और सेवा कर व्यवस्था में अंतरित करने हेतु व्यापक संक्रमणकालीन उपबंधों का प्रस्ताव किया गया है।
लोकसभा में पेश एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 में अन्य बातों के साथ साथ मानव उपभोग के लिए मद्य पान की पूर्ति के सिवाय माल एवं सेवा या दोनों की सभी अंतरराज्यिक पूर्तियों पर 40 प्रतिशत से अनधिक की अधिसूचित की जाने वाली ऐसी दर पर, जो माल एवं सेवा परिषद द्वारा सिफारिश की गई है, उस पर कर को उद्गृहित करने की बात कही गई है।
सीमा शुल्क अधिनियम 1962 में अंतर्विष्ट उपबंधों के साथ पठित सीमाशुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 के उपबंधों के अनुसार भारत में आयातित माल पर कर लेने का उपबंध करना है।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में प्रस्तावित विधान के अधीन प्रतिलोम प्रभार आधार पर सेवाओं के आयात पर कर लेने का उपबंध करने की बात कही गई है। इसमें केंद्र सरकार को परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा या विशेष आदेश द्वारा छूट प्रदान करने के लिए सशक्त करने के साथ इस बारे में कोई पूर्ति अगर अंतरराज्यिक है तब पूर्ति की प्रकृति स्पष्ट करने का उपबंध किया गया है।
इसमें माल एवं सेवा दोनों के संबंध में पूर्ति का स्थान अवधारित करने के लिए विस्तृत उपबंध किया गया है साथ ही आनलाइन सूचना और डाटाबेस पहुंच या सेवाओं के किसी पूर्तिकार द्वारा कर संदाय का उपबंध भी किया गया है।
भारत छोड़ने वाले पर्यटकों को माल की पूर्ति पर कर के प्रतिदाय का उपबंध करने के साथ केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं संघ राज्य क्षेत्र के बीच कर के प्रभाजन और निधियों के व्यवस्थापन के लिए तथा इनपुट कर प्रत्यय के अंतरण के लिए उपबंध करने की बात कही गई है।
एकीकृत माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि नियत दिन या उसके पश्चात की गई सेवाओं के आयात के संबंध में संक्रमणकालीन संव्यवहारों का उपबंध भी किया गया है।
लोकसभा में संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 पेश किया गया। इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित विधान देश में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल और सुव्यवस्थित करेगा, जिससे उत्पादों की लागत और अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में कटौती की संभावना है जिससे घरेलू के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय भारतीय व्यापार और उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा।
इसमें कहा गया है कि यह भी संभावना है कि माल एवं सेवाकर के पुर:स्थापित करने से भारतीय बाजार सामान्य या बाधारहित करने में पोषक हो सकेगा और अर्थव्यवस्था की वृद्धि में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा।
प्रस्तावित माल एवं सेवा से कर आधार में विस्तार होगा और जिसका परिणात संतुलित सूचना प्रौद्योगिकी के कारण अधिक से अधिक कर अनुपालन में होगा।
इसमें कहा गया है कि किसी अधिसूचित दर पर मानव उपयोग के लिए एल्कोहल लिकर के प्रदाय के सिवाय, मालों या सेवाओं या दोनों के सभी अंतरराज्यीय प्रदाय पर कर सेवा और माल कर परिषद द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
इसमें परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा या विशेष आदेश द्वारा छूट प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त करने के साथ प्रस्तावित विधान के अनुपालन में समुचित प्राधिकारियों को केंद्रीय कर अधिकारियों और राज्य कर अधिकारियों को पुलिस, रेल, सीमाशुल्क और जो भू राजस्व के संग्रहण में लगे हैं, ऐसे अधिकारियों की सहायता के लिए उपबंध किया गया है।
विधेयक में विभाग से कराधान मामलों पर किसी बाध्यकारी स्पष्टता प्राप्त करने को करदाताओं को सशक्त करने के क्रम में अग्रिम विनिर्णय के लिए किसी प्राधिकरण की स्थापना करने का प्रावधान है। इसमें माल एवं सेवा कर व्यवस्था को विद्यमान करदाताओं के सहत अंतरण के लिए विस्तृत संक्रमणकालीन उपबंध करने की बात कही गई है।
लोकसभा में माल और सेवा कर :राज्यों को प्रतिकर: विधेयक 2017 भी पेश किया गया। यह विधेयक संविधान :एक सौ एकवां संशोधन: अधिनियम 2016 की धारा 18 के उपबंधों के अनुसार पांच वर्ष की अवधि के लिए माल और सेवा कर के कार्यान्वयन के मद्देनजर होेने वाली राजस्व की हानि के लिए राज्यों को प्रतिकर का उपबंध करता है।
संविधान :एक सौ एकवां संशोधन: अधिनियम 2016 की धारा 18 में यह उपबंध है कि, संसद माल और सेवा कर परिषद की सिफारिश पर विधि द्वारा पांच वर्ष की अवधि के लिए माल और सेवा कर के कार्यान्वयन के मद्देनजर होने वाले राजस्व की हानि के लिए राज्यों को प्रतिकर लगाने का उपबंध करेगी।
माल एवं सेवाकर राज्यों को प्रतिकर विधेयक 2017 में कहा गया है कि इसमें वित्त वर्ष 2015-16 को राज्यों को संदेय प्रतिकर की रकम की गणना करने के लिए प्रयोजन के लिए आधार वर्ष के रूप मानने की बात कही गई है।
इसमें कहा गया कि संक्रमणकालीन अवधि के दौरान राज्य के लिए सम्मिलित किये गए राजस्व की प्रक्षेपित विकास दर 14 प्रतिशत प्रति वर्ष होगी।
इसमें उपबंध किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 279क में निर्दिष्ट 11 विशेष प्रवर्ग राज्यों के मामले में राज्यों द्वारा मंजूर किये गए करों की छूट के मद्देनजर छोड़ दिया गया राजस्व आधार वर्ष 2015..16 के लिए राजस्व की परिभाषा में गिना जायेगा।
राज्यों के ऐसे राजस्व, जो राज्यों की संचित निधि में जमा नहीं किये गए थे, किंतु उन्हें सीधे मंडी या नगरपालिकाओं को दिया गया था, उन्हें सम्मिलित राजस्व की परिभाषा में शामिल किया जायेगा।
पांच वर्ष की प्रतिकर अवधि के पश्चात प्रतिकर निधि में रह गई कोई अवशिष्ट रकम केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा की जायेगी।
उल्लेखलीय है कि जीएसटी को हाल के वर्षों में सबसे बड़े कर सुधारों के तौर पर देखा जा रहा है। जीएसटी परिषद ने इस महीने हुई अपनी पिछली दो बैठकों में पूरक विधेयकों पर अपनी सहमति जताई।
वित्त मंत्र अरूण जेटली ने एक राष्ट-एक कर की अवधारणा को लागू करने के लिए चार विधेयक लोकसभा में रखे जिनमें केंद्रीय जीएसटी, एकीकृत जीएसटी, केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी और मुआवजा कानून शामिल हैं।
कांग्रेस के कई सदस्यों ने हालांकि विधेयकों को पेश करने के तौर तरीकों का विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक का अध्ययन करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयकों को पेश करने के संबंध में आज की कार्यसूची में कोई जिक्र नहीं है और महत्वपूर्ण मुद्दों के संबंध में संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्राी एस एस अहलूवालिया ने कहा कि शुक्रवार की रात को ही विधेयकों को सरकार की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था।
विपक्षी सदस्यों ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि सरकार कैसे उम्मीद करती है कि सांसद आधी रात को वेबसाइट देखेंगे। उनका कहना था कि कार्य मंत्राणा समिति की बैठक में इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं की गयी।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिल भारतीय मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय विधेयकों के पेश करने के तरीके पर आपत्ति जताने वालों में प्रमुख थे।
विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि शनिवार की सुबह विधेयक सदस्यों को भेज दिए गए थे और इन्हें पेश करने में कुछ गलत नहीं है। भाषा