औपचारिक गठन के बाद काउंसिल जीएसटी दर तय करने पर विचार विमर्श शुरू करेगी। वित्त मंत्रलय के सूत्रों के अनुसार राज्यों के साथ हुई चर्चा में कोई राज्य जीएसटी की अधिकतम दर को लेकर विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस की राय से सहमत नहीं है। वित्त मंत्रलय में मुख्य आर्थिक सलाहकार की जिस रिपोर्ट के हवाले से कांग्रेस 18 फीसदी की अधिकतम दर की मांग कर रही है, वह दो साल पहले के राज्यों के राजस्व के आधार पर है। जबकि पिछले दो साल में राज्यों के अप्रत्यक्ष कर संग्रह में काफी बढ़ोतरी हुई है।
ऐसे में कोई राज्य नहीं चाहेगा कि जीएसटी की ऐसी दर तय हो, जिसमें उसके राजस्व संग्रह को नुकसान हो। दरअसल जीएसटी में उत्पाद शुल्क व सेवा कर समेत अप्रत्यक्ष कर के दायरे में आने वाले सभी तरह के कर समाहित हो गए हैं। इनमें राज्यों में लगने वाले चुंगी कर, प्रवेश कर, ट्रेड टैक्स से लेकर मनोरंजन कर आदि सभी शामिल हैं।
राज्यों के कर राजस्व आमदनी में इन करों का काफी महत्व रहा है। वित्त मंत्रलय के सूत्र बताते हैं कि राज्यों, खासतौर पर बड़े राज्यों को होने वाली मौजूदा कर राजस्व आमदनी के मुताबिक यदि जीएसटी की अधिकतम सीमा तय करनी पड़े तो यह 24-25 फीसदी बैठेगी। इससे कम रखने पर राज्यों को अपनी मौजूदा राजस्व आमदनी में नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि, केंद्र ने इसकी भरपाई का प्रावधान जीएसटी कानून में किया है।