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97 दिनों में ऐसे बदल गईं निर्मला सीतारमन, मनमोहन से लेकर पति तक ने दिखाया आईना

आख़िरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात मान ली है। हालांकि, यह अलग...
97 दिनों में ऐसे बदल गईं निर्मला सीतारमन, मनमोहन से लेकर पति तक ने दिखाया आईना

आख़िरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात मान ली है। हालांकि, यह अलग बात है कि यह मानने में उन्हें 97 दिन लग गए। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर उनके पति तक ने आंकड़ों और नीतियों के सहारे अर्थव्यवस्था की स्थिति से वाकिफ कराने की भरसक कोशिश की, लेकिन वे 'डिनायल मोड' से बाहर नहीं निकल पा रही थीं। अब उन्होंने सुस्ती की बात मान ली है और आश्वासन भरे लहजे में कहा कि इससे मंदी जैसा खतरा नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बुधवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर भले ही धीमी हो सकती है, लेकिन मंदी का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जरूरत के हिसाब से नीतियां बनाएगी। वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में कहा, देश हित में हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए विकास दर धीमी हो सकती है, लेकिन यह मंदी नहीं है और आगे भी ऐसी स्थिति नहीं आएगी।

ऐसा पहली बार है, जब सरकार ने अर्थ्वयवस्था के मोर्चे पर संकट की स्थिति को कबूला है। इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन खुद इससे अलग और विरोधाभासी बयान देती रही हैं। उन्होंने सबसे पहले 23 अगस्त को अर्थव्यवस्था में सुस्ती (इकोनॉमिक स्लोडाउन) की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने तब कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था किसी भी बड़े देश की तुलना में तेज गति से विकास कर रही है। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई पैकेज की घोषणा भी की थी।

इसके बाद 1 सितंबर को भी चेन्नई में मीडिया से बातचीत के दौरान सीतारमन ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती (इकोनॉमिक स्लोडाउन) को मानने से इनकार किया। तब उन्होंने कहा था कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों और औद्योगिक इकाइयों से सलाह-मशविरा कर रही है और संबंधित सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि बजट में कई कदम उठाए गए थे, जिसके नतीजे आने शुरू हो गए हैं।

कॉरपोरेट जगत से उलझीं

कॉरपोरेट जगत से लगातार मिल रही आलोचना के बाद वित्त मंत्री ने 19 सितंबर को ट्वीट किया। उन्होंने ट्विट किया कि मैं अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार काम कर रही हूं। उन्होंने अपनी आलोचना के जवाब में लिखा, आपने देखा होगा कि बतौर वित्त मंत्री काम कर रही हूं और अर्थव्यवस्था को लेकर उठाए जा रहे कदमों के बारे में लगातार बात कर रही हूं।दरअसल, दवा बनाने वाली कंपनी बायकॉन लिमिटेड की प्रमुख किरन मजूमदार शॉ ने टिप्पपणी की थी कि देश में ई-सिगरेट पर पाबंदी की घोषणा वित्त मंत्री की जगह स्वास्थ्य मंत्री क्यों कर रहे थे।

पति ने भी दिखाया आईना

इसके बाद 14 अक्टूबर को वित्त मंत्री के पति और अर्थशास्त्री पी. प्रभाकर ने भी अर्थव्यवस्था में सुस्ती (इकोनॉमिक स्लोडाउन) को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने एक लेख में लिखा था कि सरकार नई नीतिया बनाने के प्रति बिलकुल अनिच्छुक है। उन्होंने लिखा था, सरकार इनकार के मोड में है और आंकड़े बताते हैं कि एक के बाद एक सारे सेक्टर के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो रही है।

अपने पति की टिप्पणी के बाद 15 अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सितारमन ने सरकार की नीतियों का बचाव किया। उन्होंने कहा, एक बात दिमाग में बिठा लीजिए। अगर हम व्यापक सुधारों की बात करते हैं, तो 2014 से 2019 के बीच प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई सारे बुनियादी सुधार किए गए हैं। क्या जीएसटी और आईबीसी जैसे सुधार कांग्रेस के शासन में हुए?

मनमोहन सिंह से भिड़ंत

19 अक्टूबर को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर ही वित्त मंत्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भिड़ गईं। पूर्व प्रधानमंत्री ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह मौजूदा आर्थिक स्थितियों के लिए पूर्व की सरकारों को दोष देना बंद करे। उन्होंने कहा, सरकार अपनी नाकामियों के लिए विपक्ष को दोषी दे रही है। इस तरह वह समस्या का हल निकालने में सक्षम नहीं है।

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन के समय में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत खराब दौर में पहुंची। इस पर मनमोहन सिंह ने जवाब दिया कि सरकार को विपक्ष पर आरोप लगाना बंद करना चाहिए, क्योंकि वह खुद पांच साल से अधिक समय से सत्ता में है। उन्होंने कहा था, यह सरकार पांच साल से अधिक समय से सत्ता में है। उसे हमारी गलतियों से सबक लेना चाहिए और अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी समाधान निकालना चाहिए।

अभी तक लगातार इंकार के मोड में रहने के बाद वित्त मंत्री ने 10 नवंबर को पहली बार माना कि भारतीय अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है। इससे एक दिन पहले खबर आई थी कि मांग में कमी, निजी निवेश और वैश्विक स्तर पर खराब स्थितियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले छह साल के निचले स्तर 5 फीसदी पर आ गई। अब उन्होंने कहा है कि अर्थव्यवस्था की विकास दर भले ही धीमी हो सकती है, लेकिन मंदी का कोई खतरा नहीं है।

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