पिछले हफ्ते ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को सचेत किया था कि यदि वह उच्च आर्थिक विकास दर हासिल करना चाहता है तो उसे अन्य सुधारों के अलावा कॉर्पोरेट की कमजोर बैलेंस शीट और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संपदा गुणवत्ता में तेजी से सुधार लाना होगा। आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की आर्थिक विकास दर सरकार की उम्मीदों से कमतर ही रहेगी। आर्थिक विकास की राह में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों से आगाह करने के लिए ही आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड दो दिवसीय दौरे पर भारत आईं। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी मुलाकात की।
लेगार्ड के इस दौरे से हाल की आर्थिक स्थितियों, भारत की संभावनाओं तथा विश्व अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका पर वृहद चर्चा की गई। दिल्ली प्रवास के दौरान लेगार्ड ने भारतीय रिजर्व बैंक के सौजन्य से लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्राओं को संबोधित किया वहीं मुंबई में आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन से भी मुलाकात की।
लेडी श्रीराम कॉलेज में व्याख्यान देते हुए लेगार्ड ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अनुमानित विकास दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इससे यह विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को ऐसे समय में मजबूती मिलेगी जब विकसित अर्थव्यवस्थाएं संकट में हैं और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सुस्त रफ्तार है। उन्होंने कहा, ‘दुनिया के ज्यादातर देशों की विकास दर लगातार कम होती जा रही है, लेकिन भारत इसके विपरीत दिशा में बढ़ रहा है। लिहाजा इस घने अंधेरे वैश्विक परिदृश्य में भारत एक ध्रुवतारा बनकर उभर रहा है।’ वैश्विक वित्तीय संकट के छह वर्ष बीत जाने के बावजूद रिकवरी दर सुस्त, नाजुक और असंतुलित बनी हुई है।
आईएमएफ ने कच्चे तेल के मूल्य में गिरावट और अमेरिका की मजबूत विकास दर के बावजूद अक्टूबर के बाद 2015 की वैश्विक विकास दर और अगले वर्ष की विकास दर को कमतर करते हुए क्रमशः 3.5 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत आंका है। चीन की विकास दर भी अधिक स्थायी स्तर पर धीमी है, ऐसे में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत ने वर्ष 2014-15 की अनुमानित विकास दर को 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2015-16 में 7.5 प्रतिशत का अनुमान दिखाकर लचीला रुख अपनाया है। लेगार्ड ने यह भी कहा कि सन 2019 तक भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2009 की तुलना में दोगुनी से ज्यादा हो जाएगी। इन अर्थव्यवस्थाओं के बीच खरीद मूल्यों में अंतर कम हो जाएगा तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जापान और जर्मनी को मिलाकर भी उससे ज्यादा हो जाएगा। भारत का जीडीपी तीन दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- रूस, ब्राजील एवं इंडोनेशिया के जीडीपी से अधिक हो जाएगा।
लेगार्ड ने कहा कि भारत को समावेशी वृद्धि के लिए महिलाओं को समान अवसर देने, बेटियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने तथा नस्ल या धर्म के आधार पर किसी तरह के भेदभाव से दूर रहने की जरूरत है। महिलाओं के अधिकारों की मजबूत पैरोकार के रूप में चर्चित लेगार्ड ने कहा, ‘मैं अपने सिद्धांत पर कायम हूं कि सभी को जोड़ने में कोई वर्जना या हिचक नहीं होनी चाहिए या ऐसा नहीं हो कि उत्पाद पर एक विशेष समूह, नस्ल या एक विशेष धर्म का कब्जा हो। यह सही नहीं है। समावेशी वृद्धि का मतलब यह है कि बेरोजगार, अपंग तथा सभी नस्ल एवं धर्म से जुड़े लोग आर्थिक वृद्धि से जुड़ें।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएमएफ के शीर्ष पदों पर भारत को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया। हालांकि लेगार्ड ने भी उम्मीद जताई कि एक दिन कोई न कोई भारतीय इस संगठन की अगुआई करेगा। मोदी ने लेगार्ड के साथ एक बैठक में आईएमएफ के उच्च पदों पर भारतीय के लिए अधिक प्रतिनिधित्व की जरूरत पर जोर दिया, खासकर उप प्रबंध निदेशक पद के लिए।