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एरिक्सन और जेपी ग्रीन्स के खिलाफ जांच का आदेश

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने स्वीडन की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एरिक्सन के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। प्रतिस्पर्धा आयोग ने कहा कि प्रथम दृष्टया कंपनी के खिलाफ प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन का मामला बनता है।
एरिक्सन और जेपी ग्रीन्स के खिलाफ जांच का आदेश

इसके साथ ही आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक और रीयल एस्टेट कंपनी जेपी ग्रीन्स के खिलाफ भी विस्तृत जांच का आदेश दिया है। कंपनी पर प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन का संदेह है।

सीसीआई ने कहा कि एरिक्सन ने रायल्टी दरों को लेकर जो व्यवहार अपनाया है वह भेदभावपूर्ण है और उचित और गैर भेदभावपूर्ण के उलट है। आदेश में कहा गया है कि एरिक्सन द्वारा ली जाने वाली रॉयल्टी दरों का पेटेंट वाले उत्पाद की व्यावहारिता से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि इसका संबंध विनिर्मित उत्पाद के अंतिम मूल्य से है जिसमें पेटेंट का इस्तेमाल किया गया है। आयोग ने कहा, एरिक्सन फ्रैंड शर्तों के उलट काम कर रही है और विनिर्मित मूल्य की लागत पर रॉयल्टी लगा रही है। समान प्रौद्योगिकी में प्रति फोन दो अलग-अलग लाइसेंस शुल्क की वसूली प्रथम दृष्टया भेदभावपूर्ण है।

दूसरी ओर जेपी ग्रीन्स का मामला ग्रेटर नोएडा में विला के निर्माण एवं बिक्री वाली एक परियोजना से जुड़ा है। करीब 4.05 करोड़ रुपये में विला बुक कराने वाले एक ग्राहक की शिकायत पर सीसीआई ने जांच का यह आदेश दिया। ग्राहक ने कुल लागत का 95 प्रतिशत पहले ही भुगतान कर दिया था और उसे विला आवंटित किया गया। सीसीआई ने कहा कि उसने जेपी द्वारा जारी अस्थायी आवंटन पत्र की पड़ताल की और पाया कि इसमें कुछ उपबंध प्रथम दृष्टया अनुचित और एक पक्षीय हैं और यह दूसरे पक्ष (जेपी ग्रीन्स) की ओर झुकी हुई हैं। आयोग का मानना है कि दूसरे पक्ष का उक्त व्यवहार संबद्ध बाजार में उसकी मजबूत स्थिति के चलते है।

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