दक्षिणी प्रायद्वीप में यह सात प्रतिशत कम व पूर्वी इलाके में चार प्रतिशत कम रही है। पश्चिमोत्तर भारत को छोड़कर समूचे देश में इस माह सामान्य से कम बारिश हुई है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में पश्चिमोत्तर में भी बारिश घटने लगी है। मौसम विभाग ने पहले भी कमजोर मॉनसून का अनुमान जताया था। विभाग के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार देश में बारिश 88 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, इस अनुमान के उलट जून में बारिश सामान्य से 16 प्रतिशत अधिक रही। मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई और अगस्त में यह क्रमश: आठ प्रतिशत व दस प्रतिशत कम रहेगी।
दूसरी ओर मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने जुलाई में बारिश सामान्य से अधिक (104 प्रतिशत), अगस्त में सामान्य (99 प्रतिशत) तथा सितंबर में 96 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। स्काईमेट ने कहा कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के दौरान दो मौसम सक्रिय मॉकेट पश्चिमी तट व पूवोत्तर भारत में जुलाई में बारिश कम रही है। बारिश की कमजोर गतिविधियों से केरल में यह 30 प्रतिशत कम रही है, तटीय कर्नाटक में 32 प्रतिशत, कोंकण व गोवा में 15-15 प्रतिशत कम रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने पिछले सप्ताह कहा था कि दलहन, तिलहन व कपास की फसल को बचाने के लिए मध्य व दक्षिणी भारत के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में पर्याप्त बारिश की जरूरत है। आईसीएआर के अनुसार देश के कई हिस्सों में खरीफ फसलों की शेष 70 प्रतिशत बुवाई को पूरा करने के लिए जुलाई में आगे भी अच्छी बारिश की जरूरत है। इस महीने बारिश कम रहने के अनुमान के बीच सरकार ने किसानों से कहा है कि वे घबराएं नहीं क्योंकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आपात योजना तैयार है। गौरतलब है कि उत्तर भारत के अधिकांश इलाकों मसलन, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड आदि में जुलाई में अच्छी बारिश हुई है जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में ठीक-ठाक बारिश हुई है।