संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के शासनकाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर भाजपा खूब शोरशराबा मचाती रही है लेकिन अब इसने यूपीए सरकार के ही मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई के फैसले को बरकरार रखा है। एफडीआई नीति की नोडल एजेंसी औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (डीआेपीपी) ने 119 पन्नों के दस्तावेज में निवेशकों के लिए नीति सरल बनाने का जिक्र है। दस्तावेज में वे सभी बदलाव किए गए हैं जिन्हें पिछली सरकार ने अनुमोदित किया था। इसके अलावा मोदी मंत्रिमंडल ने एनटीपीसी और आईओसी के विनिवेश प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है। नई एफडीआई नीति में रेलवे, बीमा, रक्षा, चिकित्सा उपकरण और निर्माण में छूट की सिफारिश की गई है।
एनटीपीसी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए विनिवेश होगा जबकि आईओसी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश होगा। सरकार दोनों कंपनियों के विनिवेश से तकरीबन 1500 करोड़ रुपये जुटाने की जुगत में है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से कुल 69500 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। यही वजह है कि पीपीपी माध्यम से वह रेलवे अधोसंरचना, निर्माण, हाई स्पीड ट्रेन आदि के परिचालन और रखरखा में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दे चुकी है।
सरकार ने नई यूरिया नीति के तहत यूरिया कंपनियों को सब्सिडी देने के फॉर्मूले में बदलाव किया है। अब इन कंपनियों को लागत के आधार पर सब्सिडी दी जाएगी। इससे भी यूरिया सेक्टर में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। नई यूरिया नीति से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और आयातित मूल्य की चिंता भी कम होगी। नई नीति से यूरिया के आयात में 20 लाख टन की कमी संभव है।
आज के एक और अहम फैसले के तहत सरकार ने काले धन के खिलाफ सख्त कानून को हरी झंडी दे दी है। हालांकि काले धन पर रोक के लिए बेनामी लेनदेन विधेयक को मंजूरी दी गई है लेकिन सजा और जुर्माने को सख्त बनाया गया है। जमीन-जायदाद के जरिये बेनामी लेनदेन पर रोक के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं और रियल एस्टेट के लिए भी कुछ कड़े नियम बनाए गए हैं।