जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय दल होने के बाद भी कांग्रेस ने प्रौद्योगिकी, बदलाव और सुधार का विरोध करने का राजनीतिक रुख अपनाने का फैसला किया लेकिन अर्थव्यवस्था बाधित होने का उसका अतिरंजित दावा गलत साबित हुआ। फेसबुक पर ‘नोटबंदी- पिछले दो महीने का अवलोकन’ शीर्षक से अपने पोस्ट में वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके विरोधियों के नजरिये में बहुत बड़ा अंतर है।
जेटली ने लिखा, प्रधानमंत्री भविष्यदृष्टा हैं तथा वह और आधुनिक, प्रौद्योगिकी आधारित स्वच्छ अर्थव्यवस्था के बारे में सोच रहे थे। वह अब राजनीतिक चंदा प्रणाली को स्वच्छ बनाने की बात कर रहे हैं। उनके विरोधी नकदी का वर्चस्व, नकद सृजनकारी एवं नकद विनिमय प्रणाली जारी रखना चाहते हैं।
वित्त मंत्री ने लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में फर्क स्पष्ट है....प्रधानमंत्री अगली पीढी के बारे सोच रहे हैं जबकि राहुल गांधी की नजर बस इस बात पर है कि कैसे संसद के अगले सत्र को बाधित किया जाए। पांच सौ और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आठ नवंबर की घोषणा के बाद विपक्षी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विरोध के चलते संसद का एक माह का शीतकालीन सत्र बाधित रहा। यह सत्र 16 दिसंबर को खत्म हुआ।
पिछले महीने राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर मोदी पर करारा प्रहार किया था और इसे भारत के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला बताया था। ऐसी आशंका है कि विपक्ष बजट सत्र में भी बाधा पहुंचा सकता है जो संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ 31 जनवरी को शुरू होगा।
अपने पोस्ट में जेटली ने कहा कि नोटबंदी जैसे बड़े फैसले के क्रियान्वयन से कोई सामाजिक अशांति पैदा नहीं हुई। उन्होंने इस संबंध में मीडिया संगठनों द्वारा कराई गई रायशुमारी का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि अधिसंख्य लोगों ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया। (एजेंसी)