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इंडस्ट्री दिग्गज बजाज के बाद नाईक ने मोदी को चेताया, तुरंत दूर करें ये अड़चनें नहीं तो खतरे में अर्थव्यवस्था

उद्योगपति राहुल बजाज के बाद अब भारतीय इंडस्ट्री के एक और दिग्गज एलऐंडटी कंपनी के चेयरमैन ए.एम. नाईक ने...
इंडस्ट्री दिग्गज बजाज के बाद नाईक ने मोदी को चेताया, तुरंत दूर करें ये अड़चनें नहीं तो खतरे में अर्थव्यवस्था

उद्योगपति राहुल बजाज के बाद अब भारतीय इंडस्ट्री के एक और दिग्गज एलऐंडटी कंपनी के चेयरमैन ए.एम. नाईक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर हम जीडीपी 6.5 फीसदी भी हासिल कर लेते हैं, तो हम ‘भाग्यशाली’ होंगे। उन्होंने समाधान के तौर पर सिफारिश की कि प्रोजेक्ट को जल्द से पास करना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे, नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री की तरह करते थे।

पद्म भूषण से सम्मानित उद्योगपति ने यह भी कहा कि आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर “स्थिति चुनौतीपूर्ण” है। नाईक ने कहा, “इस साल वृद्धि दर 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होने वाली है। हालांकि, सरकार का दावा 7 फीसदी का है, लेकिन मेरा मानना है कि अगर हम 6.5 फीसदी की दर भी हासिल कर लेते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे।” उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था पांच साल के निचले स्तर पर फिसल कर 5.8 फीसदी हो गई है और कई अर्थशास्त्री आधिकारिक आंकड़ों के आकलन के तौर-तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं।

ट्रेड वॉर का फायदा उठाने में नाकाम

नाईक ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहा ट्रेड-वॉर हमारे लिए एक मौके की तरह है। लेकिन, इस मौके को तभी भुना पाएंगे जब चीन को छोड़कर जाने वाली कंपनियों को भारत में निवेश के लिए राजी कर पाएं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक हम इसमें सफल नहीं हो पाए हैं, जैसा कि उन कंपनियों ने पहले ही वियतनाम और थाईलैंड को चुन लिया है।

उन्होंने कहा, “यहां कितनी इंडस्ट्रीज आई हैं? अमेरिका पिछले दो साल से चीन से अपनी कंपनियों को हटाने की बात कर रहा है, लेकिन हम चुनावों में व्यस्त हैं। इसलिए, हमने कुछ नहीं किया।”

जल्दी फैसले ले सरकार

फैसले लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने की अपील के साथ उन्होंने कहा, “काफी उदार और सुधार की जरूरत” है और कोई भी निवेश के प्रस्ताव के पास होने के लिए वर्षों तक इंतजार नहीं कर सकता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि निजी क्षेत्र इस पर क्या कर सकता है, तो उन्होंने कहा कि उनके पास बेहद सीमित क्षमता हैं। उन्होंने कहा, “निजी क्षेत्र निवेश के लिहाज से चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है।”

इन परिस्थितियों के पीछे जिम्मेदार वजहों के बारे में नाईक ने कहा कि मांग बहुत कम है, जिससे उन्हें लोन चुकाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सभी ऑटो कंपनियां खस्ताहाल में हैं। उन्होंने पिछले महीने लगातार चौथे महीने में बड़ी कार निर्माता कंपनियों मारुति सुजुकी की ओर से उत्पादन में कटौती की ओर भी इशारा किया। जब उनसे पूछा गया कि जैसा कि आधिकारिक आंकड़ों से बताया जा रहा है कि क्या खपत ही चिंता की वजह है? तो उन्होंने जवाब दिया, “तरलता कहां है, पैसा कहां है? चुनावों के दौरान कई वादे किए गए और अब आपको उन्हें पूरा करना है।”

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